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मंडी शुल्क का मोह, किसानों की बढ़ी मुश्किलें

locationहनुमानगढ़Published: Oct 01, 2020 10:41:55 am

Submitted by:

Purushottam Jha

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हनुमानगढ़. केंद्र सरकार स्तर पर नया कृषि बिल लागू होने के बाद टाउन व जंक्शन मंडी में नरमा-कपास खरीद को लेकर अजीब स्थिति बन गई है।
 

मंडी शुल्क का मोह, किसानों की बढ़ी मुश्किलें

मंडी शुल्क का मोह, किसानों की बढ़ी मुश्किलें

मंडी शुल्क का मोह, किसानों की बढ़ी मुश्किलें
-गत सीजन में नरमा खरीद से राज्य सरकार को 2860.31 लाख रुपए का मिला था मंडी शुल्क
-नया कृषि बिल लागू होने से कपास खरीद में फंसा पेच
हनुमानगढ़. केंद्र सरकार स्तर पर नया कृषि बिल लागू होने के बाद टाउन व जंक्शन मंडी में नरमा-कपास खरीद को लेकर अजीब स्थिति बन गई है। मंडी समिति को जहां मंडी शुल्क का मोह लुभा रहा है तो जिनिंग व्यापारी मंडी शुल्क से बचने का रास्ता निकाल रहे हैं। इन सबके बीच कच्चे आढ़तियों ने अब किसानों को मंडी में कपास लाने से मना कर दिया है।
खराब मौसम के बीच जिन किसानों ने चुगाई का काम शुरू कर दिया है, उनके लिए अब मुश्किलें बढ़ गई है। वर्तमान में मंडी में कपास खरीदने पर क्रेता से मंडी शुल्क वसूला जा रहा है। जबकि नए कृषि बिल में मंडी से बाहर खरीद करने पर के्रता को मंडी शुल्क में छूट दी गई है। वहीं मंडी में खरीदने पर मंडी शुल्क में छूट नहीं दी गई है। इसलिए जिनिंग व्यापारी अब नया रास्ता तैयार करने में जुटे हैं।
इसलिए आगे दो-तीन दिन किसानों को मंडी में कपास लेकर नहीं आने को लेकर सूचित किया है। हनुमानगढ़ जिले की मंडियों की बात करें तो गत खरीफ सीजन में नरमा-कपास की खरीद से सरकार को २८६०.३१ लाख रुपए का मंडी शुल्क प्राप्त हुआ था। बताया जा रहा है कि मंडी शुल्क की वसूली राज्य सरकार करती है। इस स्थिति में राज्य सरकार भी मंडी शुल्क घटाने को लेकर विचार कर रही है।
क्योंकि नए कृषि बिल के तहत यदि व्यापारी मंडी से बाहर सारी खरीद कर लेते हैं तो राज्य सरकार को मंडी शुल्क का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इस स्थिति में जिनिंग व्यापारी और किसान हितों को देखते हुए इस बात की उम्मीद की जा रही है कि सरकार मंडी शुल्क को भविष्य में आधा कर सकती है। इसे लेकर उच्च स्तर पर अभी राय मशविरा करने में अधिकारी लगे हुए हैं।
सरकारी खरीद पर नजर
जिले में अक्टूबर के पहले पखवाड़े में कपास की सरकारी खरीद शुरू होने के आसार हैं। इसे लेकर एक अक्टूबर से टोकन भी जारी किए जाएंगे। आठ से बारह प्रतिशत नमी रहने पर सीसीआई कपास की खरीद करेगी। गत वर्ष हनुमानगढ़ मंडी में कपास की सरकारी खरीद नौ लाख ५४ हजार क्विंटल हुई। जबकि प्राइवेट खरीद २७ लाख क्विंटल से अधिक हुई थी।
मंडी मंडी शुल्क
भादरा १६१.४५
गोलूवाला ३५३.८८
हनुमानगढ़ ११२९.०१
नोहर २.२३
पीलीबंगा ३८६.८०
रावतसर ४५३.०५
संगरिया ३७३.८९
(हनुमानगढ़ जिले की उक्त मंडियों में एक अप्रेल २०१९ से ३१ मार्च २०२० तक नरमा विक्रय पर वसूले गए मंडी शुल्क की राशि को लाखों में समझें।)
…….वर्जन…..
मंडी परिसर में कपास की खरीद करने पर क्रेता को मंडी शुल्क और किसान कल्याण शुल्क देना ही पड़ेगा। मंडी समिति नियमों के तहत खरीद नहीं करने पर संबंधित लाइसेंसी व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई भी होगी। इस संबंध में व्यापारिक संस्थाओं को अवगत करवा दिया गया है।
-सीएल वर्मा, सचिव, मंडी समिति हनुमानगढ़
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