इस अवधि में बांधों में कुछ पानी की आवक हो जाती है तो स्थिति बदल सकती है। वहीं पहले के बरसों पर नजर डालें तो बांधों का जल स्तर न्यूनतम स्तर पर ले जाकर किसानों को राहत पहुंचाया जाता रहा है। हालांकि इसके लिए राज्य सरकार स्तर पर प्रयासों की जरूरत पड़ेगी। जल संकट की स्थिति में पूर्व में भी ऐसा होता रहा है। वहीं किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि यदि उन्हें सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला तो वह खरीफ की प्रमुख फसल कपास की बिजाई समय पर नहीं कर पाएंगे। जिले में गत खरीफ सीजन में कपास की सरकारी खरीद होने के कारण करोड़ों रुपए किसानों की जेब में आए थे। इस बार भी किसानों को उम्मीद थी कि ऐसा ही होगा। परंतु इस समय सिंचाई पानी को लेकर असमंजस की स्थिति बनने से किसान बेचैन हो रहे हैं।
इंदिरागांधी नहर में आगे एक माह की पूर्ण बंदी रहेगी। इसे लेकर पंजाब ने पानी कम करना शुरू कर दिया है। २९ अप्रेल को इंदिरागांधी नहर में पानी की मात्रा २००० से घटाकर १२०० क्यूसेक कर दिया गया। जो एक मई तक जीरो क्यूसेक हो जाएगा। इसके बाद इस नहर में एक माह तक पूर्ण बंदी लेकर इसकी रीलाइनिंग का कार्य किया जाएगा।
२९ अप्रेल २०२१ को पौंग बांध का जल स्तर १२९९ व भाखड़ा बांध का जल स्तर १५२७ फीट था। जबकि पौंग बांध की पूर्ण भराव क्षमता १३९० फीट के करीब है। इसी तरह भाखड़ा बांध की पूर्ण भराव क्षमता १६८० फीट के करीब है।
राजस्थान क्षेत्र में इंदिरागांधी नहर की लंबाई ४४५ किमी है। इस नहर से हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, चूरू व नागौर सहित प्रदेश के दस जिलों की प्यास बुझ रही है। इन सभी जिलों के लिए इंदिरागांधी नहर लाइफ लाइन मानी जाती है। वर्ष 1958 में इंदिरागांधी फीडर का निर्माण शुरू हुआ था। वर्ष 11 अक्टूबर 1961 में राजस्थान में पहली बार इंदिरागांधी नहर की नौरंगदेसर वितरिका में पानी प्रवाहित किया गया था। नहरी क्षेत्रों से राज्य में करीब हजारों करोड़ का उत्पादन हो रहा है।
-भाखड़ा बांध सतलुज नदी पर हिमाचल प्रदेश के विलासपुर जिले में बना हुआ है। इस बांध का निर्माण १९४८-६३ के बीच पूर्ण हुआ। इस बांध की नदी तल से ऊंचाई ५५० मीटर है।
-पौंग बांध व्यास नदी पर बना हुआ है। इस बांध का निर्माण वर्ष १९७४ में पूर्ण हुआ।
-रणजीत सागर बांध का निर्माण वर्ष २००२ में पूर्ण हुआ। यह रावी नदी पर बना हुआ है। इस बांध से विद्युत उत्पादन के बाद पानी माधोपुर हैड वक्र्स पर आता है। यहां से माधोपुर व्यास लिंक के माध्यम से इस व्यास नदी में डायवर्ट किया जाता है।
आवक की स्थिति कमजोर
बांधों में आवक की स्थिति काफी कमजोर है। दोनों बांध काफी खाली हो रहे हैं। इस स्थिति में आगे सिंचाई के लिए पानी मिलना इतना आसान नहीं रहेगा। हालांकि अभी एक माह से अधिक का वक्त बाकी है। इस अवधि में आवक की स्थिति सुधरने पर तस्वीर बदल सकती है। हमारे स्तर पर सिंचाई पानी लेने का पूर्ण प्रयास रहेगा।
-विनोद मित्तल, मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग हनुमानगढ़