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Video: आयरन की गोलियां खाने से नौ बच्चियों की तबीयत बिगड़ी

- स्टाफ के हाथ-पांव फूले, हस्पताल में कराया भर्ती, उपचार बाद भेजा घर

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hanumangarh nine girl admitted in hospital

hanumangarh nine girl admitted in hospital

संगरिया. आयरन की गोलियां खाने से राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल की नौ बच्चियों की तबीयत बुधवार को अचानक खराब हो गई। जिन्हें सरकारी अस्पताल में दाखिल कराया गया। उपचार के बाद हालत स्थिर होने पर उन्हें घर भेज दिया। शिक्षक संघ नेता सोम सैन ने बताया कि छात्राओं में खून की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्कूल में भेजी गई आयरन की गोलियां विद्यार्थियों में बुधवार को बांटी गई थी।

स्कूल की आधी छुट्टी के बाद छात्राओं को गोलियां खिलाई गई। गोलियां लेने के कुछ देर बाद ही नौ छात्राओं ने सिर दर्द व चक्कर आने की शिकायत की। डॉ. बलवंत गुप्ता के अनुसार इन्हें ओआरएस घोल पिला दिया है। जांच व उपचार देने के बाद फिलहाल हालत स्थिर है।

दौड़े हस्पताल

दोपहर करीब दो बजे बच्चियों का दर्द बढ़ता चला गया। हालत बिगड़ती देख स्कूल स्टाफ के हाथ-पांव फूल गए। अध्यापक सोम सैन, कृष्णकुमार, राजेंद्र सैन, पुष्पा व स्कूली बच्चियां तुरंत उन्हें उपचार के लिए लेकर अस्पताल दौड़े। परिजनों व डीईओ हरलाल हुड्डा को सूचना दी। कुछ परिजन भी अस्पताल में पहुंचे। पूर्व चिकित्सालय प्रभारी डॉ. बलवंत गुप्ता के नेतृत्व में नर्सिंग स्टाफ ने छात्राओं को संभाला। जांच उपरांत उपचार दिया।

ये हुई बीमार

आयरन की गोलियां खाने से बीमार होने वाली छात्राओं में पांचवीं कक्षा की रजनी पुत्री नायबसिंह, प्रिया पुत्री बलवीर, निशा पुत्री भगवान दास, तनु पुत्री राकेश कुमार, मुस्कान पुत्री विनोद कुमार, कीर्तिका पुत्री कालूराम तथा किरणा पुत्री रिछपाल एवं कक्षा दूसरी की उमा पुत्री निर्मल व सिमरन थी।

जरुरतमंद को ही दें गोली

एक बच्ची की महिला परिजन ने कहा कि उन्होंने तो अपनी लड़कियों को पहले ही मना किया था कि यदि स्कूल में उन्हें आयरन की गोलियां खिलाएं तो वो नहीं लें। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारियों को कोसते हुए कहा कि नर्सिंग स्टाफ की मौजूदगी में जरुरतमंद बच्चों को ही ये गोलियां दी जानी चाहिए। हरेक को कारगर नहीं होती।

देखरेख में बांटी गोलियां

स्कूल स्टाफ का कहना था कि नई पैकिंग खोलकर ९५० बच्चों में से उपस्थित कक्षा एक से १२ तक के बच्चों को गोलियां दी गई। आधी छुट्टी होने से पहले ही सबको खाना खाने के लिए बोला था ताकि गोलियां दी जा सकें। देखरेख में पूरे नियमों के अनुसार गोलियां दी गई थी। गोलियां सीधी निगलनी होती हैं पर इन बच्चों ने एक-दूसरे के देखादेखी चबा लिया। शायद इससे ही तबीयत बिगड़ गई।