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5 वीं संस्कृत विषय ही नहीं फिर भी पूरक दे दी,20 अंक में होते हैं पास,25 में कर दिया फेल

हरदा। लंबे समय बाद राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा बोर्ड पैटर्न पर ली गई कक्षा 5 वीं और 8 वीं की परीक्षा में बड़े स्तर पर हुई विसंगतियां धीरे धीरे सामने आने लगी हैं। परीक्षा को लेकर विभाग कितना गंभीर रहा,इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जो विषय पाठयक्रम में शामिल ही नहीं था,उसमें विदयार्थी को सप्लीमेंट्री दे दी। जिस विषय में पास होने के लिए केवल 20 अंक चाहिए थे,उसमें 25 मिलने पर भी फेल कर दिया गया। कई सरकारी स्कूलों का नतीजा 100 फीसदी रहा तो कई का शून्य रहा। निजी स्कूल 20 फीसदी से उपर नहीं जा

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हरदा

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Mahesh bhawre

May 17, 2023

5 वीं संस्कृत विषय ही नहीं फिर भी पूरक दे दी,20 अंक में होते हैं पास,25 में कर दिया फेल

5th sanskrit is not the only subject, yet given supplement, pass in 20 marks, failed in 25

इनसे उठे सवाल:
केस-1

एक छात्र को सभी विषयों में 90 से 95 प्रतिशत अंक मिले। एक विषय विशेष में उसे केवल 4 ही अंक मिले हैं। कॉपियों के मूल्यांकन और अंकों की मोबाइल से ऑनलाइन इंट्री से ऐसा होना संभव है।
केस-2

कक्षा 5 वीं के एक छात्र को एक विषय को छोड़कर सभी विषयों में पास बताया गया है। उसे संस्कृत विषय में सप्लीमेंट्री मिलना दर्शाया है। शिक्षकों का कहना है कि इस कक्षा व पाठयक्रम में संस्कृत विषय ही नहीं है। ऐसे में यह घोर लापरवाही है।
केस-3

कक्षा 8 वीं में एक विषय में पास होने के लिए कुल अंकों में से न्यूनतम 20 अंक मिलना जरुरी है। छात्र को 25 अंक मिले हैं। इसके बावजूद संबंधित विषय में फेल बता दिया गया है। न्यूनतम से 5 अंक अधिक पाने वाला छात्र कैसे फेल हो सकता है,यह बड़ा सवाल है।

ये कैसी पारदर्शिता,छात्र नहीं देख सकता अपनी कॉपी:
राज्य शिक्षा केंद्र ने बोर्ड पैटर्न पर लंबे समय बाद ली गई परीक्षा में पारदर्शिता नहीं रखी। यही कारण है कि जिन्हें सर्वाधिक अंक मिलने की उम्मीद थी वे उस विषय में फेल या पूरक में बताए गए हैं। ऐसे विदयार्थियों को कहा जा रहा है कि उन्हें कॉपियां नहीं दिखाई जा सकती। यह नियम में नहीं है। ऐसे में विदयार्थियों व उनके परिजनों में तनाव बढ़ रहा है। शंका व समस्या का समाधान करने के बजाय राज्य शिक्षा केंद्र अपने द्वारा जारी रिजल्ट को ही सही ठहरा रहा है। जिन शिक्षकों से मोबाइल के जरिए ऑनलाइन नंबरों की इंट्री कराई गई,उन्हें इसकी ट्रेनिंग भी नहीं दी गई थी।



विश्वस्त सूत्रों की मानें तो बोर्ड पैटर्न पर परीक्षा लेने का निर्णय सितंबर माह में हुआ। नवंबर में पहली तिमाही के नंबर चढ़ाने के निर्देश दिए गए। वार्षिक परीक्षा की कॉपियां जांचने के दौरान कुछ विषयों के शिक्षक ही नहीं मिल पाए। ऐसे में दूसरे विषय जांचने के लिए बुलाए गए शिक्षकों से ही वे उन विषयों की कॉपियां भी चेक कराई गई,जो विषय उन्होंने कभी पढ़ाया ही नहीं। ऐसे में रिजल्ट पर इसका विपरित असर पड़ना स्वाभाविक है।


बच्चों व पैरेंटस में बढ़ सकता है तनाव:

अभी पूरे प्रदेश में सर्वर डाउन चल रहा है। इसे देखते हुए अगले दिन विभाग ने स्कूलों की आईडी से रिजल्ट देखने की सुविधा दी। सर्वर अभी भी बहुत धीमी गति से चल रहा है। ऐसे में बहुत अधिक बच्चों के हाथों में न तो उनका रिजल्ट पहुंचा है और न ही अभी बच्चे छुटटियों में बाहर होने के कारण स्कूल पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में जैसे जैसे सर्वर पर लोड कम होगा और रिजल्ट डाउनलोड होने लगेगा,इसके बाद पैरेंटस और बच्चों में तनाव ले सकते हैं।


मामले ऐसे भी आए:

घोषित नतीजों में कई चौंकाने वाली व हास्यापद चीजें भी सामने आयी हैं। हरदा ब्लॉक में ही करीब दर्जनभर ऐेसे स्कूल हैं,जिनका परिणाम जीरो रहा है। इन स्कूलों में परीक्षार्थियों की दर्ज संख्या 3 से लेकर 15 और कहीं कहीं इससे ज्यादा है। इनमें ज्यादातर निजी स्कूल हैं। अधिकांश स्कूलों का नतीजा 80 से 95 के बीच या 100 फीसदी तक रहा है ऐसे स्कूल सरकारी हैं। एक स्कूल में 24 में से केवल 2 पास हुए हैं। सामाजिक विज्ञान में सर्वाधिक पूरक मिली है। इसके बाद गणित और अन्य विषय हैं। एक स्कूल में 92 में से 92 पास है तो दूसरे में 171 में से 34 पास हैं। एक स्कूल में 171 में से 3 पास हुए हैं।
इनका कहना है

कक्षा 5 वीं और 8 वीं के घोषित नतीजों में कई तरह की विसंगतियां हैं। जिससे बच्चों व पैरेंटस में अवसाद की स्थिति न बने। राज्य शिक्षा केंद्र समय रहते इन खामियों का रिव्यू कर उसे जल्दी से दूर करके दोबारा रिजल्ट जारी करे,इसके लिए शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन दिया है। यदि ऐसा नहीं होगा तो पूरे प्रदेश में निजी स्कूल संगठन उग्र आंदोलन करेगा।
-दीपकसिंह राजपूत,प्रदेशाध्यक्ष,
कक्षा 5 वीं और 8 वीं के रिजल्ट को लेकर निजी स्कूल संचालकों ने ज्ञापन दिया है,जिसे उपर भेज रहे हैं।

-मुकेश दिवेदी डीपीसी,हरदा