21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बाल अपराधियों को रखने की जगह नहीं, पेशी के लिए हर हफ्ते खंडवा से लाते हैं

25 नाबालिगों को बाल संप्रेक्षण गृह खंडवा से हरदा पेशी पर लाया जाता है

3 min read
Google source verification

हरदा

image

Sanjeev Dubey

Aug 01, 2019

Building is not meant to keep child criminals in the district

Building is not meant to keep child criminals in the district

हरदा. कम उम्र में कानून का उल्लंघन करने वाले नाबालिगों के आचरण में सुधार के लिए अब तक जिले में बाल संप्रेक्षण गृह भवन की व्यवस्था नहीं हो पाई है। जिले में बाल अपराधियों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। विभिन्न मामलों में लिप्त पाए जाने पर ऐसे नाबालिगों को खंडवा के बाल संप्रेक्षण गृह भेजना पड़ रहा है। जहां से हफ्ते में तीन दिन पेशी के लिए उन्हें हरदा के किशोर न्याय बोर्डमें लाना पड़ रहा है। शासन द्वारा प्रदेश के अन्य जिलों में बाल संप्रेक्षण गृह की स्थापना की गई है, किंतु यहां के बच्चों को आज भी पड़ौसी जिले में भेजा जा रहा है। इसके अलावा निराश्रित बच्चों के लिए भी बाल गृह की व्यवस्था नहीं हो पाईहै। एक साल पहले स्वयंसेवी संस्था ने इसके संचालन के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन इसकी फाइल भोपाल में ही अटकी पड़ी हुई है। ऐसे बच्चे मिलने पर उन्हें आसपास के जिलों के बाल गृहों के हवाले कर दिया जा रहा है।

बाल संप्रेक्षण गृह के लिए बनी थी ५० लाख की बिल्डिंग
उल्लेखनीय है कि लगभग दस साल पहले सामाजिक न्याय विभाग द्वारा शहर के खंडवा बायपास पर आरईएस विभाग के माध्यम से लगभग ५० लाख रुपए की लागत से बाल संप्रेक्षण गृह के लिए भवन बनवाया था। इसमें लगभग ५० बच्चों को रखने के लिए करीब १२ कमरों का निर्माण कराया गया था, ताकि बाल अपराधियों को बैतूल, खंडवा के बाल संप्रेक्षण गृह भेजने की समस्या से निजात मिल सके। लेकिन बाद में विभाग द्वारा इस तरफध्यान नहीं दिए जाने से बाल संप्रेक्षण गृह का संचालन शुरू नहीं हो पाया। बच्चों के लिए बने भवन की जगह पर सरकारी कार्यालयों का संचालन हो रहा है।

खंडवा से तीन दिन पेशी पर आते हैं नाबालिग
जानकारी के अनुसार खंडवा बायपास पर बनाए गए भवन में हर हफ्ते किशोर न्याय बोर्ड का संचालन हो रहा है।इसमें विधि का उल्लंघन करने वाले नाबालिगों को हफ्ते में सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को पेशी पर लाया जाता है। वर्तमान में बाल अपराधियों को खंडवा बाल संप्रेक्षण गृह में भेजा जा रहा है। इससे पूर्व बैतूल भेजते थे।अलग-अलग मामलों में फंसे लगभग २५ नाबालिगों को पुलिस कर्मियों द्वारा ट्रेन अथवा बस से किशोर न्याय बोर्डलाना पड़ता है। इसमें पुलिसकर्मियों को आने-जाने में दिक्कतें होती हैं, वहीं परिजनों को बच्चों से मिलने के लिए खंडवा जाना पड़ता है। बाल संप्रेक्षण गृह के नाम से बनाए भवन का उपयोग अगर बच्चों के लिए होता तो सभी को राहत होती, किंतु इस दिशा में संबंधित विभागों ने भी शासन से इसे शुरूकराने के लिए प्रयास नहीं किए गए। बुधवार को बड़ी संख्या में विभिन्न मामलों में नाबालिग अपराधी किशोर न्याय बोर्ड में पेशी पर आए थे।

बाल गृह अनुमृति की फाइल शासन के पास अटकी
जिले में निराश्रित बच्चों को रखने के लिए भी शासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है। अनायस शहर में भटक कर रहे आने वाले ऐसे बालक-बालिकाओं को विभाग द्वारा दूसरे जिलों के बाल गृह के सुपुर्द कर इतिश्री कर ले रहा है। पिछले 1 अक्टूबर २०१८ को दध्यंग श्रद्धा शिक्षण समिति कमताड़ा ने बाल गृह संचालन की मान्यता के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया था। जिस पर उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस और जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग की संयुक्त समिति गठित बनाई थी। टीम ने सात दिनों में बाल गृह के लिए जगह का निरीक्षण कर रिपोर्ट कलेक्टर को प्रस्तुत की थी। महिला एवं बाल विकास विभाग एवं कलेक्टर द्वारा बाल गृह संचालन की अनुमति देने के लिए फाइल शासन को भेजी थी, किंतु एक साल बीतने पर भी बाल गृह शुरूकरने के लिए अनुमति नहीं मिल पाईहै।

इनका कहना है
विधि का उल्लंघन करने वाले बच्चों के लिए जिले में बाल संप्रेक्षण गृह नहीं है। इसकी स्थापना के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। पिछले साल दध्यंग श्रद्धा शिक्षण समिति कमताड़ा ने बाल गृह के संचालन की मान्यता के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। संयुक्त समिति ने संस्था द्वारा बताईगई जगह का निरीक्षण कर रिपोर्ट कलेक्टर को दी थी।उन्होंने बाल गृह संचालन का प्रस्ताव शासन को भेजा है। फिलहाल वहां से अनुमति नहीं मिली है।
डॉ. राहुल दुबे, सहायक संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग, हरदा