
If you want to live life differently, take the challenge, job in the army, adventure and pride are all: Chauhan
उन्होंने कहा कि जिंदगी में चैलेंज हर जगह है। जिन्हें एक बार चैलेंज लेने की आदत हो जाती है,वे हमेशा ही आगे बढ़ते हैं और कुछ नया और मिसाल कायम करने जैसा काम करते हैं। उन्होंने बताया कि वे अपने भाई शहीद दीपसिंह चौहान के साथ ही आर्मी की तैयारी कर रहे थे। दोनों ने ज्वाइन किया। भाई एक साल बाद शहीद हो गया। जिस पर उन्हें गर्व है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति पर परिवार के अलावा,समाज व देश तथा अपनी माटी का भी कर्ज होता है,उसे चुकाने के लिए पैरा मिलिट्री या आर्मी बढ़िया माध्यम है। रोमांचित करने वाले अनुभव को लेकर उन्होंने कहा कि आर्मी में हर क्षण रोमांचित करने वाला और हमेशा अलर्ट रहना सिखाने वाला ही होता है। कई बार सामने मौत दिखाई देती है और हम न केवल सुरक्षित बच जाते हैं बल्कि जीतते भी हैं तो हमारा ईश्वर पर और बढ़ जाता है। चौहान का समाज व अन्य लोगों ने शहर में जुलूस निकाला। राजपूत छात्रावास में उनका सम्मान किया गया।
एक भाई के नाम जिले के पहले शहीद होने का गौरव:
रातातलाई निवासी दीपसिंह चौहान की हाईस्कूल की पढ़ाई हरदा में हुई। साल 2002 में उनकी सीआरपीएफ की 132 वीं बटालियन में पदस्थ हुई। 20 सितंबर 2003 को उनकी डयूटी मणिपुर के थांबोल के सुगनु मार्केट में लगी थी। तभी वहां आतंकियों ने अचानक हमला कर दिया। दीपसिंह ने पराक्रम का परिचय देते हुए माैके पर ही 3 आतंकियों काे ढेर कर दिया।इस हमले में भी शहीद हो गए। 6 जुलाई 1998 काे हरदा जिला बना। जिला गठन के बाद पहले शहीद का गाैरव दीप सिंह के नाम है। स्कूली शिक्षा महात्मा गांधी हायर सेकंडरी स्कूल से हासिल करने वाले दीपसिंह के नाम पर नपा ने शहीद गैलरी का निर्माण कराया,जिसे देखने दूर दूर से लोग आते हैं। दीपसिंह के भाई जब बीएसएफ से रिटायर होकर गैलरी में गए तो भाई की शहादत को नमन कर बोले,आज यदि वह होता तो बहुत खुशी होती,लेकिन वतन पर मर मिटना भी हरेक के भाग्य में नहीं।
Published on:
03 Jun 2023 09:14 pm
बड़ी खबरें
View Allहरदा
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
