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कच्चे मकान को बताया पक्का, पीएम आवास योजना से कर दिया बाहर

पहली किश्त से कुछ मकानों का निर्माण शुरू हुआ पर राशि नहीं मिली

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हरदा

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Pradeep Sahu

Feb 11, 2019

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खिरकिया. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को पक्के मकान दिए जाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा पहल की जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर शासकीय नुमाइंदो की मनमानी के चलते उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। कई हितग्राहियों के सूची में नाम आने के बावजूद उनके नाम पर पूर्व से पक्के मकान दर्शा दिए गए हैं, वहीं गांव में ही निवासरत कुछ हितग्राहियों का तो पलायन भी बता दिया गया है। कुछ ऐसा ही मामला ग्राम चौकड़ी में सामने आया है जिसके कारण ग्रामीणों को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जानकारी के अनुसार चौकड़ी के ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपने मकानों के निर्माण के लिए आवेदन दिए थे। कई ग्रामीणों का योजना के तहत चयन भी किया जा चुका है, वहीं सूची में नाम भी दर्ज है। इसके बावजूद उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कुछ हितग्राहियोंको योजना के तहत पहली किश्त भी दी जा चुकी है, लेकिन उसके बाद उन्हें अपात्र कर दिया गया है। अब उन्हें आवास पूर्ण करने के लिए दूसरी किश्त नहीं दी जा रही है। प्रश्र ये है कि जब ये अपात्र थे तो ऐसे हितग्राहियों को पहली किश्त देकर योजना का लाभ क्यों दिया गया?
नामों के आगे दर्शा दिए पक्के मकान- बताया जा रहा है कि कई ग्रामीणों के नामों के आगे पक्के मकान दर्शा दिए गए हैं, जिससे उन्हें राशि नहीं मिल रही है। हकीकत यह है कि इन ग्रामीणों के मकान पक्के नहीं हैं। वर्तमान में ये टूटी-फूटी झोपडी एवं कच्चे मकानों में निवास कर रहे हैं। ग्रामीण लक्ष्मीनारायण पिता अनार माली के नाम के आगे पलायन दर्ज कर दिया गया है, जबकि वर्तमान स्थिति यह है कि वह अभी भी गांव में ही कच्चे मकान में निवास कर रहे है। इसके अलावा रामकृष्ण रामेश्वर माली, संजू भोजीराम, रामदीन मांगीलाल, विमला छोगालाल, भगवान शंकर, बृजलाल प्रहलाद, भागीरथ, अशोक, पूनम, गौरीशंकर, रंजीत रामसिंह, कैलाश शंकरलाल सहित अन्य ग्रामीणो के नामो के आगे भी पक्के मकान दर्ज कर दिया गया है, जबकि वस्तुस्थिति यह है कि उनके मकान कच्चे हंै। ऐसे में बिना भौगौलिक आंकलन के ही सूची में मनमाने तरीके से नामों को अपात्र कर दिया गया।
कलेक्टर को कराया अवगत- पक्के आवास के लिए ग्रामीणों द्वारा मंत्री पीसी शर्मा की समस्या निवारण समिति के सदस्य भरत पटेल को अवगत कराया गया। उन्होंने ग्रामीणों की समस्या कलेक्टर तक पहुंचायी एवं मनमानी की शिकायत की। इसके बाद कलेक्टर द्वारा जिला पंचायत सीईओ को जांच के निर्देश दिए गए। बताया जा रहा है कि गांव के एक दर्जन से अधिक पात्र हितग्राहियों को इस लापरवाही के चलते लाभ नहीं मिला है।