
इस बार दो दिन की शरदपूर्णिमा, आज रात भी होगी पूजा
हरदा. शरदपूर्णिमा चंद्रदेव के साथ ही सरस्वतीपूजा और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए जानी जाती है। मान्यता है कि दशहरे से शरद पूर्णिमा तक चंद्रमा की चांदनी विशेष गुणकारी होती है, इन दिनों की चांदनी श्रेष्ठ किरणों वाली और औषधियुक्त होती है। अच्छी बात तो यह है कि इस बार दो दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। 23 अक्टूबर की रात के साथ ही 24 अक्टूबर को भी पूर्णिमा होगी यानी इन दोनों दिनों की चांदनी रात में पूर्णिमा का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
प्राप्त होती है अलौकिक ऊर्जा
ज्योतिषी पंडित दुर्गेश भार्गव बताते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को अलौकिक ऊर्जा प्राप्त होती है। सोमचक्र, नक्षत्रीय चक्र और आश्विन के त्रिकोण के कारण शरद ऋतु से ऊर्जा का संग्रह होता है और बसंत में निग्रह होता है। सभी को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा के सामने रहने की कोशिश करनी चाहिए। दमा रोगियों के लिए तो शरद पूर्णिमा की रात वरदान बनकर आती है। इस रात्रि में दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर उसे चांदनी रात में रखकर सुबह 4 बजे औषधि का सेवन किया जाता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए भी शरद पूर्णिमा पर रात में 15 से 20 मिनट तक चंद्रमा को देखकर त्राटक करने का कहा गया है।
खीर में आ जाता है चंद्रमा का अमृत
इस दौरान खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखने का विधान किया गया है। माना जाता है कि इससे खीर में चंद्रमा का अमृत आ जाता है। इसका एक वैज्ञानिक पहलू भी है। साइंटिस्ट सुनील द्विवेदी बताते हैं कि दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर को खुले आसमान के नीचे रखने और अगले दिन खाने का विधान तय किया था। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है।
Published on:
24 Oct 2018 11:29 am
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