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10 साल में चने का रकबा 4 गुना बढ़ा,गेहूं का इसी दशक में सबसे कम

हरदा.बीते एक दशक के दौरान जिले में फसल की बोवनी का ट्रेंड बदला है। पिछले 10 सालों में इस साल पहली बार चने का रकबा अब तक का सर्वाधिक यानि 4 गुना बढ़ गया है। चने का रकबा बढ़ने के कारण इन्हीं 10 सालों में गेहूं का रकबा सबसे कम हो गया है। गेहूं के रकबे में कटौती का कारण किसानों का तीसरी फसल मूंग के प्रति बढ़ता रुझान है। 4 साल पहले उड़द का रकबा भी 85 हजार हेक्टेयर तक जा पहुंचा था। धीरे धीरे किसानों का इससे मोहभंग हो गया।

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हरदा

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Mahesh bhawre

Oct 16, 2023

 10 साल में चने का रकबा 4 गुना बढ़ा,गेहूं का इसी दशक में सबसे कम

The area of ​​gram increased 4 times in 10 years, the area of ​​wheat decreased in the same decade.

जिले को प्रदेश में गेहूं उत्पादन के मामले में मिनी पंजाब कहा जाता है। यहां की उपजाऊ मिटटी,तवा नहरों के पानी,किसानों की मेहनत और अनुकूल माहौल के दम पर अभी गेहूं का उत्पादन 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होने लगा है। गर्मी में मूंग में सिंचाई के लिए नहरों से पानी मिलने के कारण अब किसान कम समय में पकने वाली चना फसल लेने लगे हैं,इस कारण गेहूं के रकबे में कटौती करने लगे हैं। कृषि विभाग ने इस साल रबी सीजन में 191.575 हेक्टेयर रकबे में बोवनी प्रस्तावित की है।

जिले में गेहूं,चना रबी सीजन की मुख्य फसल है। गर्मी में तवा बांध से पानी मिलने से 8 सालों से किसान मूंग की फसल भी लेने लगे। सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी करने लगी। जिसने किसानों का रुझान बढ़ाया। अब बड़े रकबे वाले किसान गेहूं के रकबे में कटौती कर चना बोने लगे हैं,जिससे जल्दी कटाई कर मार्च में मूंग बोयी जा सके। बीते 10 साल के आंकड़े देखें तो

साल 2019-20 में गेहूं का रकबा 1.62 लाख हेक्टेयर था। इस साल चना 25 हजार हेक्टेयर था। 2012-13 में गेहूं की बोवनी 1.43 हजार हेक्टेयर में हुई। चना साढ़े 27 हजार हेक्टेयर में बोया गया। मौसम की मार,लाभ के गणित,लागत,फसलों में लगने वाली बीमारी,खाद,कीटनाशक,बीज की बढ़ती कीमतों से महंगी होती खेती के देखते हुए अब किसान गेहूं में कटौती कर जल्दी पकने वाला चना बोकर तीसरी फसल मूंग में रुचि ले रहे हैं। यही कारण है कि 10 साल में चना 4 गुना बढ़ा तो इन्हीं सालों में गेहूं सबसे कम रकबे तक सिमट गया।

साल गेहूं हेक्टे.में चना हेक्टे में

2012-13 143.000 27.500
2013-14 145.900 33.000

2014-15 130.000 22.520
2015-16 155.200 25.400

2016-17 141.500 41.000
2017-18 118.000 56.000

2018-19 130.540 48.800
2019-20 162.000 25.000

2020-21 132.200 58.220
2021-22 100.350 91.700

2022-23 96.606 90.642
22023-24 प्रस्तावित 90.000 96.000

इस साल का प्रस्तावित प्लान:
जिले में रबी सीजन में इस साल बोवनी का कुल रकबा 191.575 हेक्टेयर तय किया है। इसमें गेहूं 90 हजार हेक्टेयर है। मक्का 15 हजार,चना 96 हजार,मटर,50 एकड़,मसूर,20 एकड,सरसो 4 हजार और गन्ना 5 हेक्टेयर में प्रस्तावित है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो जिले में सरसों का उत्पादन 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होना है। अभी किसान हाइब्रिड बीज खरीद रहे हैं। इसमें 25 से 40 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च आता है। अभी मंडी में सरसो 5500रुपए क्विंटल बिक रही है।

खाद की स्थिति:

खाद का नाम लक्ष्य उपलब्धता मीट्रिक टन में
यूरिया 39000 15297

डीएपी 21000 12597
एसएसपी 10000 2530

एमओपी 2000 257
कांप्लेक्स 3000 1795

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टापिक एक्सपर्ट

चने की कई वेरायटी आ गई।यह कम समय में पकती है।चने में देखभाल,पानी,मेहनत व लागत भी कम है।समर्थन मूल्य पर खरीदी होती है। इस कारण किसान समय व पानी बचाने,शेष समय में मूंग की अतिरिक्त फसल लेने की मंशा से चना बोने लगा है। जिससेे हर साल इसका रकबा बढ़ रहा है। चने का उत्पादन कम,लेकिन भाव ज्यादा है। वहीं गेहूं की पैदावार ज्यादा,लेकिन अपेक्षाकृत भाव कम हैं।
-डॉ.संध्या मूरे,कृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख

रबी सीजन के लिए लक्ष्य प्रस्तावित किया है। खाद की भी कोई कम नहीं है। बीते कुछ समय से किसानों का रुझान चने में बढ़ रहा है। इस साल भी चने का रकबा गेहूं से ज्यादा रहने की उम्मीद है।
-एमपीएस चंद्रावत,उप संचालक कृषि,हरदा