
While working in the field, Halur songs were sung to give energy to the labor - Dr.Parihar
--हालूर गायन की विधा को लेकर डॉ. श्रीराम परिहार ने बताया कि खेतों से विलुप्त होती पारंपरिक खेती के साधनों को युवा पीढ़ी याद रखे,इस उद्देश्य यह आयोजन किया। हालूर गीतों ने आर्थिक सामाजिक समायोजन करके रखा था। खेतों में हल चलता था। किसान खेतों में नाड़ी चलाते हुए गीत गाते थे।चांदनी रात में,ठंडी रात में ओस की भीगी रात में,आकाश मदध्म रोशनी में हल नाड़ी चलाते हुए ये गीत गाए जाते थे। उन्होंने कहा कि एक लाइन एक खेत वाला व दूसरी पंक्ति दूसरा खेत वाला गाता था।इन किसानों के श्रम की आवाज,बीज की आवाज से एक मधुर स्वर निकलता था यही हालूर था। कुलपति डॉ. अरुण जोशी ने सभी हालूर गीतों को एक अनुपम विरासत बताते हुए कहा कि ये अपने आप मे एक अनूठा काम है। ये वो गीत है जो काम की शिथिलता में तेजी ला देते थे।हालूर एक शोध का विषय है जिस पर विचार होना चाहिए। संचालन कर रहे साहित्यकार ज्ञानेश चौबे ने बताया कि हालूर गायन पुराना पारंपरिक खेती किसानी के दौरान काम के साथ साथ की जाने वाली ही एक क्रिया है,जो अभी मशीनीकरण के युग में पहचान खो रही है। कार्यक्रम में अलग अलग जगहों की चार अनुभवी पीढ़ी के गायकों ने गायन पेश किया। जिसे सुनकर दर्शक दीर्घा में बैठे श्रोताओं ने भी दाद देते हुए तालियों के साथ गुनगनाया।
यह सांस्कृतिक गायन कार्यक्रम ललितनिबंधकार डॉ. श्रीराम परिहार के संयोजन में हुआ।मुख्य अतिथि सीवी रमन विवि के कुलपति डॉ. अरुण जोशी थे। कुलसचिव रवि चतुर्वेदी,राजीव बाहेती,शोभा वाजपेयी,क्षेत्रीय प्रबंधक उमेश शर्मा,स्वाति गुरु ने सरस्वती पूजन कर शुभारंभ किया।
Published on:
11 Jun 2023 08:49 pm
बड़ी खबरें
View Allहरदा
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
