
दीवाली के बाद लखनऊ के वायु प्रदूषण में भारी बढ़ोतरी, इमरजेंसी प्लान बनाने की अपील
लखनऊ. दीपावली पर पटाखे फोड़नेे को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय सीमा का लखनऊ वासियों ने जमकर उल्लंघन किया। लखनऊ वासियों ने दीपावाली की रात इतने पटाखे फोड़े कि लखनऊ की आबोहवा एकदम गैस चैंबर में तब्दील हो गई। इस बात का खुलासा इन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा किये गये एक अध्ययन से हुआ है सीड के अनुसार दीपावली की रात और उसकी अगली सुबह वायु प्रदूषण ने इमरजेंसी स्तर को पार कर लिया था। गत सात नवंबर यानी दीवाली के दिन औसतन 24 घंटा पर्टिकुलेट मैटर/पीएम2.5 250 माइक्रोग्राम्स प्रति घन मीटर (mg/cum) रहा, जो कि राष्ट्रीय औसत से 4 गुना अधिक है, जबकि दीवाली पूर्व दिन यानी 6 नवंबर को यह 183 mg/cum रहा था। दीवाली पश्चात सुबह में ठंढ़ और हवा में ज्यादा नमी ने प्रदूषण के जमाव को और भी गंभीर कर दिया। 8 नवंबर यानी दीवाली की अगली सुबह पीएम2.5 संकेंद्रण 386 mg/cum रहा, जो कि सुरक्षित सीमा से 6.4 गुना अधिक है। अगर यह स्थिति दिल्ली और इससे सटे इलाकों जैसे गुरूग्राम, नोएडा और गाजियाबाद से खराब नहीं है, तो कमोबेश स्थिति यही है।
सुप्रीम कोर्ट हुई अवहेलना कई गुना देर तक हुई आतिशबाजी
सीड की सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर अंकिता ज्योति ने कहा कि लखनऊ शहर को एक घने धुंधल ने घेर लिया है, क्योंकि लोगों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समयसीमा की अवहेलना करते हुए कहीं ज्यादा देर तक पटाखे छोड़े व आतिशबाजी की। एक साधारण फुलझड़ी से लेकर बेहद जटिल व शोरगुल वाले पटाखों में नाइट्रेट्स, सल्फर, चारकोल, अल्युमिनियम, टाइटेनियम, कॉपर, स्ट्रोनटियम, बेरियम और डेक्स्टि्रन जैसे तत्वों का मिश्रण होता है। अधिक मात्रा में पटाखे छोड़ने और आतिशबाजी से ये जहरीले तत्व हवा में घुलमिल जाते हैं और स्मॉग (धूलमिश्रित धुआं) का निर्माण करते हैं, जिसमें सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा अन्य पर्टिकुलेट मैटर छाये रहते हैं और यही स्थिति लखनऊ के वातावरण में पिछले एक दिन से बनी हुई है। उन्होंने आगे बताया कि ऐसा नहीं है कि पहले पटाखे नहीं फोड़े जाते थे, लेकिन पहले पृष्ठभूमि का प्रदूषण इस कदर गंभीर नहीं था। आज हम पहले से ही हानिकारक हवा में सांस ले रहे हैं और दीवाली में फोड़ा गया हरेक पटाखा पहले से गंभीर समस्या बन गये वायु प्रदूषण के भार को और बढ़ाता है। सरकार व न्यायपालिका का निर्णय हमारे स्वास्थ्य व जीवन को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए था, लेकिन वाकई यह दुर्भाग्यजनक है कि हमने इसका ढंग से अनुपालन नहीं किया।
सीड ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों से गत 7 और 8 नवंबर के दिन यानी दीवाली और दीवाली पश्चात औसतन 4 घंटा पीएम2.5 डाटा का संग्रह किया। इन दो दिनों में लखनऊ के वायु प्रदूषण में बतौर निष्कर्ष ये मुख्य बातें सामने आयीं-
प्रदूषण खतरनाक स्तर पर
दीवाली की रात और इसकी अगली सुबह लखनऊ गंभीर प्रदूषण और इमरजेंसी स्तर का गवाह बना। दीवाली के दिन के समय 12 बजे दोपहर से 4 बजे तक पीएम2.5 का स्तर नीचे था और चार बजे के बाद इसमें बढ़ोतरी दर्ज की जाने लगी और इसने अपने उच्चतम स्तर को छुआ। दिन के समय 12 बजे से लेकर 4 बजे यानी चार घंटे में औसत पीएम2.5 संकेंद्रण 169 mg/cum था, जो रात के 8 बजे से लेकर 12 बजे यह बढ़ कर 694 mg/cum की खतरनाक ऊंचाई पर आ गया। मध्यरात्रि 12 बजे मध्य रात्रि से अहले सुबह चार बजे में पीएम2.5 अलार्मिंग स्तर पर था, जो स्पष्ट रूप से दीवाली में पटाखों के प्रभाव का प्रत्यक्ष संकेतक है। यह बढ़ कर 834 mg/cum की खतरनाक स्तर पर आ गया।
ये क्षेत्र रहा सर्वाधिक प्रदूषित
सीड ने स्थानीय स्तर पर एयर क्वालिटी के आकलन के लिए निशातगंज, तालकटोरा, लालबाग और सेंट्रल स्कूल आदि क्षेत्रों में स्थापित मॉनिटरिंग स्टेशनों से प्राप्त औसत चार घंटे के पीएम 2.5 के स्तर का तुलनात्मक अध्ययन किया है। तालकटोरा और लालबाग में एयर क्वालिटी सबसे खराब स्तर की पायी गयी। तालकटोरा में औसतन चार घंटे का पीएम2.5 संकेंद्रण 936 mg/cum रहा, वहीं यह 880 mg/cum के साथ दूसरा सबसे ऊंचा स्तर लालबाग में रहा। औसत चार घंटे का पीएम2.5 संकेंद्रण सेंट्रल स्कूल और निशातगंज में क्रमशः 733 mg/cum और 788 mg/cum रहा।
शहर में गहराते वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य संबंधी खतरों के परिप्रेक्ष्य में सीड ने सरकार से अविलंब पब्लिक हेल्थ एडवायजरी जारी करने और इस संकट से निबटने के लिए एक इमरजेंसी एक्शन प्लान तैयार करने की अपील की है।
Updated on:
09 Nov 2018 05:53 pm
Published on:
09 Nov 2018 04:40 pm
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