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स्थानीय मुद्दे दरकिनार, पक्ष विपक्ष के लिए मुद्दा मोदी सरकार

स्थानीय मुद्दे दरकिनार, पक्ष विपक्ष के लिए मुद्दा मोदी सरकार

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हरदोई

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Ruchi Sharma

Apr 11, 2019

lok sabha elections 2019

प्रदेश में पहले चरण के लिए नामांकन का दौर थमा, मारवाड़ की चार सीटों पर 70 प्रत्याशियों ने ठोकी ताल

नवनीत द्विवेदी

हरदोई. हरदोई सुरक्षित लोकसभा सीट से सपा-बसपा गठबंधन की सयुंक्त सपा प्रत्याशी पूर्व सांसद ऊषा वर्मा चुनाव मैदान में है तो वहीं भाजपा से पूर्व सांसद जय प्रकाश रावत चुनाव मैदान में है। कांग्रेस से पूर्व विधायक वीरेंद्र वर्मा और भारतीय कृषक दल से रामचन्द्र तथा प्रसपा सहित अन्य दलों और निर्दल प्रत्याशी अपना नामांकन हरदोई सीट पर करा चुके है। वैसे तो जब तक चुनाव परिणाम घोषित नहीं होते तब तक जीत हार को लेकर कयासबाजी से लेकर अटकलें और तरह तरह के सियासी गुणा भाग लगाए जाते है। मगर यदि इस बार के लोकसभा चुनाव को देखें तो इस सीट पर फिलहाल चुनाव प्रचार में सपा बसपा गठबंधन और भाजपा प्रत्याशियों के बीच मुकाबला नजर आ रहा है। कांग्रेस और अन्य दलीय और निर्दलीय प्रत्याशी फिलहाल चुनाव प्रचार के मसले में मन्द नजर आ रहे है।


चुनाव प्रचार के अलावा यदि जातीय समीकरणों की बात करें तो अनुसूचित जाति बाहुल्य वाली इस सुरक्षित सीट पर सपा-बसपा की ऊषा वर्मा और भाजपा के जय प्रकाश दोनों ही एक ही समाज वर्ग से है। ऐसे में दोनों के बीच जातीय समीकरणों का मुकाबला भी दिलचस्प है। सियासी समीकरणों की बात करें तो सत्तापक्ष भाजपा पूरा चुनाव विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित करती नजर आती है तो वहीं विपक्ष सपा-बसपा चुनाव में मोदी को मुद्दा बनाकर मोदी हटाओं मुहिम में नजर आता है। इस मुहिम में कांग्रेस भी मोदी को मुद्दा बनाकर मोदी हटाओ और कांग्रेस के घोषणा पत्र में न्यूनतम आय के वादे को प्रमुखता पर लेकर चुनाव में है।

हरदोई लोकसभा सीट से जुड़ी खास बातें


आजादी के बाद पड़ोसी जनपद फर्रुखाबाद का भी कुछ हिस्सा इस संसदीय सीट में शामिल था। पहली बार 1952 में कांग्रेस के बुलाकीराम फिर 1957 में जनसंघ के शिवदीन ने जीत दर्ज की थी। उपचुनाव 1957 में इस सीट से कांग्रेस के बाबू छेदा लाल गुप्ता ने जीत दर्ज की थी। बाबू छेदा लाल नरेश अग्रवाल के बाबा थे। इसके बाद परिसीमन में यह सीट पुनर्गठित होकर सुरक्षित श्रेणी में हो गई और पड़ोसी जनपद का जुड़ा इलाका भी इससे अलग हो गया और फिर हुए 1962 व 1967, 1971 के चुनावों में कांग्रेस के किंदर लाल ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की। 1977 में परमाई लाल ने भारतीय लोकदल की टिकट से यहां जीत दर्ज की थी हालांकि 1980 में हुए चुनाव में फिर कांग्रेस प्रत्याशी मन्नीलाल और 1984 में किंदर लाल कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की 1989 के चुनाव में परमाई लाल ने फिर इस सीट पर वापसी करते हुए जनता दल के प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की। परमाई लाल पूर्व सांसद ऊषा वर्मा के ससुर और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी मित्र थे। 1991 और 1996 तथा 1999 में यहां भाजपा के जय प्रकाश ने जीत दर्ज की। 1999 में जय प्रकाश लोकतांत्रिक कांग्रेस से भाजपा के गठबंधन प्रत्याशी थे। 1998, 2004, 2009 में यहां से परमाई लाल की बहू ऊषा वर्मा ने जीत दर्ज की। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के अंशुल वर्मा ने जीत दर्ज की थी ।