Lucknow Hardoi Highway: एनएचएआई की लखनऊ-हरदोई फोरलेन परियोजना जहां तेज़ और सुगम यात्रा का सपना दिखा रही है, वहीं रफ़ ड्राइविंग, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और सुरक्षा उपायों की कमी से यह सड़क 'खतरा-ए-जां' बनती जा रही है। लोग उल्टी दिशा में गाड़ी चलाकर खुद और दूसरों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।
Lucknow-Hardoi Four-Lane Turns Hazardous: लखनऊ-हरदोई फोरलेन मार्ग, जिसे तेज और सुरक्षित यात्रा के उद्देश्य से विकसित किया गया है, अब यात्रियों के लिए एक नए खतरे का पर्याय बनता जा रहा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की इस परियोजना की सड़क निर्माण लगभग अंतिम चरण में है, लेकिन सुरक्षा के मोर्चे पर भारी खामियां उजागर हो रही हैं। हरदोई से आगे बढ़ते ही टोल प्लाजा चालू अवस्था में है और टोल वसूली शुरू हो चुकी है, जबकि संडीला के बाद का टोल प्लाजा अभी तक चालू नहीं किया गया है। दोनों टोल प्लाजा के बीच की दूरी को लेकर लोगों में असंतोष है, लेकिन उससे भी बड़ा मुद्दा है, फोरलेन की सुरक्षा।
बैंक यूनियन के वरिष्ठ नेता राकेश पांडेय ने हाल ही में इस फोरलेन पर अपने सफर का अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा कि टोल वसूली एक अलग मुद्दा है, लेकिन इस फोरलेन की ड्राइविंग व्यवस्था अत्यंत असुरक्षित है। उन्होंने बताया कि "हम कल ही लखनऊ से हरदोई और फिर वापस गए। इस दौरान यह देखा कि वाहन चालक अपनी मर्जी से सड़क पर वाहन चला रहे हैं। कई वाहन विपरीत दिशा में भी चले आ रहे थे, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।"
पांडेय ने बताया कि कई बार वाहन चालकों द्वारा कट तक जाकर सही दिशा में गाड़ी मोड़ने के बजाय उल्टी दिशा में गाड़ी चला दी जाती है, जिससे न केवल खुद के लिए बल्कि सामने से आ रहे वाहनों के लिए भी खतरा उत्पन्न होता है। फोरलेन होने के बावजूद यदि लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो इस निर्माण का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सड़क के डिवाइडर को लोग बेरोकटोक पार करते हैं। पैदल यात्री बिना किसी व्यवस्था के सड़क पार करते हैं, जिससे अचानक वाहन ब्रेक मारते हैं और हादसे का खतरा बढ़ता है। कई बार साइड लेन से वाहन सीधे मुख्य मार्ग पर उल्टी दिशा में आते हैं, जिससे सामने से आ रही गाड़ियों को संभलने का मौका नहीं मिलता।
स्थानीय लोगों और यात्रियों की ओर से बार-बार शिकायत किए जाने के बावजूद एनएचएआई या जिला प्रशासन द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि दुर्घटना होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
एनएचएआई अधिकारियों का कहना है कि "परियोजना का अंतिम चरण पूरा होते ही सभी ट्रैफिक संकेतक और व्यवस्था लागू कर दी जाएंगी। अभी ठेकेदार द्वारा कुछ हिस्सों में कार्य बाकी है। सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन से सहयोग लिया जाएगा।"
लखनऊ-हरदोई मार्ग हर रोज हजारों यात्रियों की आवाजाही का प्रमुख मार्ग है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो हर रोज सड़क पर चलना जोखिम भरा हो सकता है। यात्री कहते हैं कि "फोरलेन होने से राहत तो मिली है, लेकिन सुरक्षा के बिना यह राहत डर में बदल जाती है।"