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सपा से आये इस बड़े नेता को बीजेपी ने दिया खास तोहफा, मुलायम सरकार में रहे थे शिक्षामंत्री

हरदोई के डॉ. अशोक वाजपेयी स्वभाव से आज भी समाजवादी हैं, भाजपा से पहुंचे राज्यसभा

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Dr Ashok Vajpayee

हरदोई. राज्सभा चुनाव संपन्न हो गया है। उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों में से नौ सीटों पर भाजपा अपने प्रत्याशियों को भेजने में कामयाब रही है। नौ प्रत्याशियों में से एक नाम प्रदेश के कद्दावर नेता डॉ. अशोक वाजपेयी का है। अशोक वाजपेयी जिन्होंने सपा में लगातार हो रही उपेक्षा से परेशान होकर पिछले वर्ष भाजपा का दामन थाम लिया था। अगस्त 2017 में डॉ. अशोक वाजपेयी को गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में डिप्टी सीएम और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। भाजपा ने उन्हें पार्टी में आने के करीब 6 माह में राज्यसभा भेज उनकी सादगी भरी राजनीति को सम्मान दिया है।

पिछले 20-25 वर्षों में तमाम ऐसे अवसर आए, जहां पर डॉक्टर अशोक वाजपेयी को अपने ही दल में किनारे कर दिए जाने का एहसास कराया गया। लेकिन उन्होंने अपने भाव और स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं किया। उनके करीबी बताते हैं कि डॉ. अशोक वाजपेयी का यह पहला राजनीतिक परिवर्तन था, जब उन्होंने सपा के एमएलसी पद त्याग कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। उनके इस परिवर्तन के पीछे कहीं न कहीं उपेक्षा और अपमान की पीड़ा थी।

डॉ. अशोक वाजपेयी के करीबियों का मानना है कि डॉक्टर साहब ने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। 70 वर्ष उम्र में प्रदेश की राजनीति से निकलकर देश की राजनीति में पहुंचना हरदोई के लिए काफी सुखद माना जा रहा है। डॉक्टर अशोक वाजपेई ने हरदोई जिले को नवोदय विद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र जैसे संस्थान देकर संदेश दिया था कि उनकी प्राथमिकता में गांव, किसान, नौजवान, शिक्षा और चिकित्सा है।

स्वभाव से आज भी समाजवादी हैं डॉ. अशोक वाजपेयी
यूपी के हरदोई जिले में छोटा सा गांव है 'बूढ़ा गांव'। इस गांव के डॉक्टर अशोक वाजपेयी अब बूढ़े हो रहे हैं, लेकिन उनकी सादगी और उनका शालीनता भरा व्यक्तित्व अभी भी वैसा ही नजर आता है, जैसा पहले था। अपनी मधुर मुस्कान और सादगीपूर्ण व्यवहार के जरिये राजनीति में अलग स्थान रखने वाले डॉक्टर अशोक वाजपेयी भले ही भगवा होकर राज्यसभा में पहुंचे हैं, लेकिन उनके समर्थक आज भी उनके स्वभाव में समाजवाद की झलक देखते हैं।

राजनीतिक करियर
हरदोई की राजनीति में डॉ. अशोक वाजपेयी का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्ष 1977 में पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर तत्कालीन पिहानी विधानसभा सीट से वह विधायक बने थे। बाबू बनारसीदास की सरकार में वह मंत्री रहे। मुलायम सिंह यादव के साथ 1989 में प्रदेश के शिक्षामंत्री रहे। 1980 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए थे। 1985 और 1989 के चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी। करीबी लोगों के अनुसार 1991 में रामलहर में अशोक बाजपाई चुनाव हार गए थे मगर 1993 में सपा बसपा गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर अशोक बाजपाई चुनाव जीते थे। वर्ष 1996 और 2002 के चुनाव में भी वह सपा की साइकिल पर सवार होकर लखनऊ पहुंचे। वे खाद्य एवं रसद और फिर कृषि व धर्मार्थ कल्याण विभाग के मंत्री भी रहे । 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद वे लखनऊ से 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए सपा प्रत्याशी बनाये गए लेकिन बाद में सपा ने टिकट बदल दिया जिसके बाद सपा ने उन्हें MLC पद तो दिया मगर उनके कद के अनुसार सरकार के मन्त्रिमण्डल में भागीदारी नही दी थी अब अशोक बाजपेयी BJP से देश की राजनीति में हैं।