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‘भारत कोई मठ नहीं’, आचार्य पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जानें पर भड़के सांसद चंद्रशेखर

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा प्रसिद्ध वैष्णव कथावाचक और राधारमण मंदिर (वृंदावन) से जुड़े आचार्य पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने पर नगीना सांसद ने आपत्ति जताई है।

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पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने पर भड़के नगीना लोकसभा सीट से सांसद, PC- X

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा प्रसिद्ध वैष्णव कथावाचक और राधारमण मंदिर (वृंदावन) से जुड़े आचार्य पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने पर नगीना लोकसभा सीट से सांसद एवं आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने आपत्ति जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो सहित लंबी पोस्ट लिखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार और यूपी पुलिस पर तंज कसा।

चंद्रशेखर आजाद ने अपनी पोस्ट में लिखा

भारत कोई मठ नहीं, बल्कि एक संवैधानिक गणराज्य है। और राज्य किसी धर्म-विशेष की जागीर नहीं। इस स्पष्ट उल्लेख के बावजूद एक कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा परेड और सलामी (Guard of Honour) दी जाती है- यह सिर्फ़ एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि संविधान पर खुला हमला है। सलामी और परेड राज्य की संप्रभु शक्ति का प्रतीक होती है। यह सम्मान संविधान, राष्ट्र और शहीदों के नाम पर दिया जाता है। किसी कथावाचक, बाबा या धर्मगुरु का रुतबा बढ़ाने के लिए नहीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तथाकथित रामराज्य में अब हालात ये हैं कि आस्था को संविधान से ऊपर, धर्म को कानून से ऊपर और कथावाचकों को संवैधानिक पदों से ऊपर बैठाया जा रहा है।

सांसद ने आगे सवाल उठाते हुए पूछा

  • पुंडरीक गोस्वामी कौन हैं?
  • वे कौन-सा संवैधानिक पद धारण करते हैं?
  • किस कानून या प्रोटोकॉल के तहत उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया?
  • क्या अब उत्तर प्रदेश में धार्मिक पहचान ही नया सरकारी प्रोटोकॉल बन रहा है?

लिखा योगी आदित्यनाथ को याद दिलाना जरूरी

  1. संविधान की प्रस्तावना भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करती है, किसी एक धर्म का सेवक नहीं।
  2. अनुच्छेद 15: धर्म के आधार पर विशेषाधिकार देना असंवैधानिक है।
  3. अनुच्छेद 25–28: राज्य धर्म से दूरी बनाए रखेगा, चरणवंदना नहीं करेगा।

पुंडरीक गोस्वामी कौन हैं?

पुंडरीक गोस्वामी जी वृंदावन के प्रसिद्ध राधारमण मंदिर से जुड़े वैष्णव आचार्य हैं। वे गौड़ीय वैष्णव परंपरा के 38वीं पीढ़ी के उत्तराधिकारी हैं तथा श्रीमद् भागवत, राम कथा, चैतन्य चरितामृत आदि पर प्रवचन करते हैं। मात्र 7 वर्ष की आयु से कथा वाचन शुरू करने वाले पुंडरीक गोस्वामी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई छोड़कर पूर्ण रूप से आध्यात्मिक मार्ग पर आ गए थे। वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं, जैसे मुफ्त चिकित्सा शिविर और गरीब बच्चों की शिक्षा।