1. फिजिकल
कोई संक्रमण (बैक्टीरियल, फंगल या वायरल), हाई बीपी, दिमागी बुखार, ब्रेन ट्यूमर, नस फटना, आंखों का कमजोर होना, किसी भी इलाज के लिए ले रहे दवाई का दुष्प्रभाव, किसी वस्तु से एलर्जी और कई बार खराब दिनचर्या में अपनाई आदतों से भी सिरदर्द की समस्या होती है। सुबह से ही सिरदर्द दिन बीतने के साथ ही बढ़ता रहता है।
2. केमिकल
दिमाग में मौजूद सिरोटोनिन केमिकल शरीर की सही कार्यप्रणाली के लिए जरूरी होता है। इसमें किसी कारण से गड़बड़ी होती है तो कार्यप्रणाली अव्यवस्थित हो जाती है। ऐसे में दिमाग में रक्तप्रवाह करने वाली नसों में धीरे-धीरे सिकुडऩ आने लगती है जिससे दिमाग में प्रेशर बढ़ता है और सिरदर्द महसूस होता है। बुखार से भी दर्द होता है।
3. ऑटोइम्यून डिजीज
आर्थराइटिस, किडनी संबंधी बीमारियों के अलावा विशेषकर एसएलई यानी शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र जब अंदरुनी अंगों पर ही हमला कर रोगी बनाने लगे तो दिमाग को क्षति होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा दिमाग की रक्त प्रवाह करने वालों नसों में सूजन या क्षति हो जाने से प्रेशर व तनाव बढ़ता है जिससे दिक्कत होती है।
इसपर ध्यान दें
सिरदर्द की समस्या कभी कभार या थोड़े समय के लिए हो तो यह इसके कारण तय हैं जिसमें काम का अधिक तनाव, हाई ब्लड प्रेशर आदि है। इलाज लेने के बाद इनमें आराम होता है। यदि सिरदर्द के साथ उल्टी, मिर्गी के दौरे आना, एक आंख से कम या बिल्कुल न दिखने की समस्या हो तो उसे नजरअंदाज न करें, तुरंत डॉक्टर से मिलकर इलाज लें।
…तो माइग्रेन
सामान्य के अलावा माइग्रेन भी एक प्रकार है। सिर के किसी एक तरफ (दाएं या बाएं) होने के कारण इसे आधाशीशी का दर्द भी कहते हैं। हार्मोन में बदलाव, भूखे रहने, व्रत रखने, जंक व फास्ट फूड खाने से दर्द बढ़ सकता है। इसके लिए आदतों में सुधार करना बेहद जरूरी है।
बदलें जीवनशैली
कारण जानकर मरीज को दवा देते हैं। साथ ही जीवनशैली में बदलाव के लिए कहते हैं। जैसे भूखे न रहें, तनावरहित रहें, आंखों पर दबाव पडऩे वाले काम न करें। योग करने के अलावा जल्दी सोने, जगने और भोजन करने की सलाह देते हैं। दिनचर्या में कुछ समय के मेडिटेशन कर सकते हैं।
एक्सपर्ट : डॉ. एस. बनर्जी, मेडिसिन विभाग, यूनिट हेड, एसएमएस अस्पताल, जयपुर
एक्सपर्ट : डॉ. के के कावरे, प्रोफेसर मेडिसिन एंड न्यूरोलॉजिस्ट, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल