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6 ज़रूरी बातें जो आपको खून चढ़वाने से पहले जाननी चाहिए

Blood Transfusion Precautions : अक्सर शरीर में रक्त की अत्यधिक कमी, रोग या सर्जरी के समय रक्त ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है, लेकिन रक्त ट्रांसफ्यूजन से पहले कुछ विशेष सावधानियां बरतना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि रक्त का प्राप्तिकर्ता एवं दाता दोनों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर रक्त ट्रांसफ्यूजन किया जाए। इसके अलावा, रक्त ट्रांसफ्यूजन की प्रक्रिया के दौरान साफ़ और स्वच्छता का ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है।

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Blood Transfusion Precautions : अक्सर शरीर में रक्त की अत्यधिक कमी, रोग या सर्जरी के समय रक्त ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है, लेकिन रक्त ट्रांसफ्यूजन से पहले कुछ विशेष सावधानियां बरतना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि रक्त का प्राप्तिकर्ता एवं दाता दोनों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर रक्त ट्रांसफ्यूजन किया जाए। इसके अलावा, रक्त ट्रांसफ्यूजन की प्रक्रिया के दौरान साफ़ और स्वच्छता का ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है।

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खून चढ़ाना शरीर की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि किसी भी तरह की असावधानी बरती जाए, तो यह कई गंभीर और लाइलाज बीमारियों का कारण बन सकती है। इसलिए, जब भी कोई व्यक्ति या परिवार के किसी सदस्य को खून चढ़वाने की आवश्यकता हो, तो सावधानी बरतना बेहद महत्वपूर्ण है। खून चढ़ने के प्रक्रिया में कोई भी अव्यवस्था या असावधानी न केवल रोगाणुओं के संचार का कारण बन सकती है बल्कि व्यक्ति की स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है। ब्‍लड चढ़वाने से पहले क‍िन बातों का ध्‍यान रखना चाह‍िए, चलिए जानें।

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एक्‍सपायरी डेट चेक करने के बाद ही ब्लड चढ़वाएं (Check expiry date of blood)ब्लड लेने से पहले सबसे पहले ब्‍लड बैंक से ही लें। साथ ही, ब्‍लड बैग पर एक्‍सपायरी डेट की जांच खुद से भी करें, केवल डॉक्टर या कंपाउंडर पर निर्भर न रहें। ब्‍लड हमेशा दो तरह की डेट के साथ मिलता है - एक की एक्सपायरी डेट 35 दिन और दूसरी की 42 दिन। पुराना ब्‍लड गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, इसलिए समय पर इसकी जांच करना महत्वपूर्ण है।

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खून चढ़ने से जुड़ी हिस्ट्री या रिएक्शन टेस्ट जरूर कराएं (Blood reaction test)यदि आपको इमरजेंसी में खून चढ़ाया नहीं जा रहा है, तो पहले आपको डॉक्टर को मरीज की हिस्ट्री और किसी भी पूर्ववर्ती प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी देनी चाहिए। यदि खून चढ़ाने के दौरान मरीज को बुखार, घबराहट, उल्टी या बहुत ठंड लगने लगे, तो खून चढ़ाना रोक देना चाहिए। कई बार संक्रमित खून चढ़ने से शरीर तुरंत प्रतिक्रिया करने लगता है। सामान्यतः, मरीज को हर मिनट में 15 से 20 बूंद खून चढ़ता है, लेकिन मरीज की स्थिति के आधार पर इस दर को बदला जा सकता है। शुरूआत में, खून को धीरे-धीरे चढ़ाया जाता है ताकि किसी भी प्रतिक्रिया का पता लगाया जा सके।

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गलत ब्‍लड ग्रुप का खून (wrong blood can cause harm)खून चढ़ाने से पहले, मरीज का सही ब्लड ग्रुप पता होना बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही, ध्यान देना आवश्यक है कि केवल सही ग्रुप का ब्लड ही चढ़ाया जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है। साथ ही, उसे ब्लड की बॉटल को दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, और अगर बॉटल किसी कारणवश बंद हो गई तो उसे फिर से उपयोग में नहीं लेना चाहिए।

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ड्रिप लगाते हुए विशेष सावधानी (Air embolism)खून चढ़ते समय, ड्रिप में हवा का निकलना बिल्कुल नहीं होना चाहिए, इसे सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। कई बार कंपाउडर या नर्स की लापरवाही से ड्रिप में हवा चली जा सकती है, जिससे मरीज की जान को खतरा हो सकता है। जब खून की बॉटल खत्म होने वाली हो, तो ड्रिप का स्विच ऑफ कर दें। इससे बॉटल खत्म होने पर खून उल्टा बॉटल में नहीं जाएगा। इसलिए, ड्रिप को बंद करना जरूरी है।

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सैंपल ट्यूब पर स‍िग्नेचर (Labeling of blood)जिस डोनर का खून लिया जा रहा है उसका सैंपल टेस्‍ट ट्यूब पर अपने स‍िग्‍नेचर करें। इसके साथ ही इस बात का ध्‍यान रखें क‍ि लेबल पर ल‍िखी जानकारी सही हो। संक्रमण खून चढ़ने से ह‍िपेटाइट‍िस बी, सी, एचआईवी आद‍ि भी हो सकता है इसलि‍ये सावधान रहें।