ऐसे बनाए ये खास ‘मच्छर मित्र ‘
वैज्ञानिकों ने इस मच्छर को ‘OX5034’ नाम दिया है। दरअसल वैज्ञानिकों ने OX5034 को मादा संतान पैदा न कर पाने के लिए जेनेटिकली बदल दिया गया है। लार्वा अवस्था में आने से पहले यह इतनी बड़ी हो जाती है कि इंसानों को काटकर उनमें खतरनाक बीमारी फैला सके। क्योंकि केवल मादा मच्छर ही अपने अंडों को बड़ा करने के लिए इंसानी रक्त की जरुरत होती है जिसे वह त्वचा पर काटकर चूसती है। जबकि इस प्रजाति के नर मच्छर रोगवाहक नहीं हैं। अनुवांशिक रूप से जैव डिजायन में परिवर्तन करने में विशेषज्ञ अमरीकी कंपनी ऑक्सीटेक इन मच्छरों को तैयार किया है।