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Ankle Swelling Causes: पैर दे रहे हैं इन खतरनाक बीमारी का साइलेंट अलर्ट! इस सूजन को बिल्कुल न करें नजरअंदाज

Ankle Swelling Causes: बार-बार टखनों में सूजन आना सिर्फ थकान नहीं, बल्कि दिल, किडनी या लिवर की समस्या का संकेत हो सकता है। जानिए कारण, खतरे और इलाज।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 17, 2025

Ankle Swelling Causes

Ankle Swelling Causes (Photo- freepik

Ankle Swelling Causes: टखनों में सूजन को ज्यादातर लोग एक छोटी-सी परेशानी मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। दिनभर खड़े रहने, लंबे समय तक बैठे रहने या गर्मी की वजह से पैरों में सूजन आ जाना आम लगता है। लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बार-बार या लंबे समय तक रहने वाली एंकल स्वेलिंग शरीर का एक अहम हेल्थ सिग्नल हो सकती है।

आज की लाइफस्टाइल में कम चलना-फिरना, घंटों स्क्रीन के सामने बैठना और बढ़ता वजन शरीर के अंदर पानी जमा होने की समस्या को बढ़ा रहा है। PLOS One में छपी रिसर्च बताती है कि उम्र बढ़ने के साथ नसों की ताकत कम होना, कम एक्टिव रहना और पुरानी बीमारियां टखनों में लगातार सूजन का बड़ा कारण बन सकती हैं।

एंकल स्वेलिंग क्यों जरूरी संकेत है?

हमारा शरीर ब्लड सर्कुलेशन और फ्लूड बैलेंस पर चलता है। जब दिल, किडनी, लिवर या नसें ठीक से काम नहीं करतीं, तो शरीर का एक्स्ट्रा पानी नीचे की ओर जमा होने लगता है। इसका असर सबसे पहले पैरों और टखनों में दिखाई देता है। इसका मतलब ये है कि टखनों की सूजन सिर्फ पैरों की नहीं, बल्कि दिल, किडनी या लिवर की सेहत से भी जुड़ी हो सकती है।

ऐसे लक्षण दिखें तो सतर्क हो जाएं

हेल्थ एक्सपर्ट्स डॉक्टर मनोज जागिंड़ के मुताबिक रोजाना या अक्सर टखनों में सूजन आना, उंगली दबाने पर त्वचा में गड्ढा पड़ जाना, पैरों में भारीपन या जकड़न, सुबह के बजाय शाम को सूजन बढ़ जाना, आराम के बाद भी सूजन पूरी तरह न उतरना इन संकेतों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

एंकल स्वेलिंग किन हेल्थ प्रॉब्लम्स से जुड़ी हो सकती है?

दिल की बीमारी: जब हार्ट कमजोर हो जाए

किडनी की समस्या: शरीर से एक्स्ट्रा पानी बाहर न निकल पाना

लिवर डिसऑर्डर: शरीर में प्रोटीन की कमी

नसों की कमजोरी: ब्लड का पैरों में जमा होना

हाई बीपी और डायबिटीज जैसी क्रॉनिक बीमारियां

कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट, खासकर BP या हार्मोन की दवाएं

सूजन को नजरअंदाज करना क्यों खतरनाक है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स डॉक्टर मनोज जागिंड़ ने बताया कि अगर समय रहते जांच न हो, तो दिल और किडनी की बीमारी बढ़ सकती है। पैरों की त्वचा पतली और कमजोर हो जाती है। इंफेक्शन और घाव का खतरा बढ़ता है। चलने-फिरने में परेशानी होने लगती है। बीमारी का पता बहुत देर से चलता है।

हेल्थ एक्सपर्ट क्या सलाह देते हैं?

डॉक्टर मनोज जागिंड़ के अनुसार इलाज सिर्फ सूजन कम करने का नहीं, बल्कि उसकी जड़ पकड़ने का होता है। इसके लिए आपको हेल्थ चेक-अप और टेस्ट जरूरी है। दवाओं की सही खुराक और बदलाव को भी ध्यान देना चाहिए। रोज हल्की एक्सरसाइज और वॉक साथ ही पैर ऊंचा रखकर आराम करना, वजन और नमक का कंट्रोल होना भी बहुत जरूरी है।