scriptCovid-19: छोटे बच्चों के हाथ साबुन-पानी से धोएं, सैनिटाइजर लगाने से बचें | avoid sanitizer to kids, it can be harm | Patrika News

Covid-19: छोटे बच्चों के हाथ साबुन-पानी से धोएं, सैनिटाइजर लगाने से बचें

locationजयपुरPublished: Apr 17, 2020 01:14:59 pm

Submitted by:

Hemant Pandey

इस समय हॉस्पिटल में संक्रमण की आशंका बहुत है। बच्चों को वैक्सीन आदि के लिए जोखिम न उठाएं। वैक्सीन बाद में लगवा लें।

Covid-19: छोटे बच्चों के हाथ साबुन-पानी से धोएं, सैनिटाइजर लगाने से बचें

Covid-19: छोटे बच्चों के हाथ साबुन-पानी से धोएं, सैनिटाइजर लगाने से बचें

कोरोना वायरस का खतरा जितना बुजुर्गों को है उतना ही खतरा एक साल से छोटे बच्चों को भी है। इस उम्र के बच्चे बार-बार मुंह में अंगुली भी डालते रहते हैं। इसलिए डर और अधिक हो जाता है। उनके हाथों की सफाई का ध्यान रखें। जब भी चल-फिर रहा है तो 2-2 घंटे में हाथ धोएं। लेकिन ध्यान रखें कि छोटे बच्चों के हाथ साबुन-पानी से ही धोएं। साबुन को अच्छे से साफ कर लें। सैनिटाइजर में एल्कोहल और दूसरे कैमिकल्स होते हैं। उनको एलर्जी या दुष्प्रभाव भी होते हैं।
वैक्सीन की चिंता अभी न करें
लॉकडाउन के चलते छोटे बच्चों में टीके (वैक्सीन) का समय या तो निकल गया या फिर निकलने वाला है। अभिभावक वैक्सीन को लेकर परेशान न हों। छोटे बच्चों के शुरू के टीके महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि टीका उसी दिन या सप्ताह में ही लगे। टीका समय से लगता है तो उसका असर ज्यादा होता है। कई बार थोड़ी देरी से भी लगवा सकते हंै। छह, नौ या बारह माह पर लगने वाले टीके के लिए बिल्कुल ही परेशान न हों। इनको देरी से भी लगवा सकते हैं।
सर्दी-जुकाम है तो..
इस मौसम में छोटे बच्चों में सर्दी-जुकाम व बुखार की समस्या आम है। अगर हल्का बुखार यानी 100 डिग्री से कम बुखार है तो ज्यादा परेशान न हों। कपड़े कम कर दें। ज्यादा लिक्विड डाइट या पानी पीने को दें। अगर बुखार 100 से ज्यादा है तो केवल पैरासिटामॉल दें। आइबीप्रोफ्रेन वाली दवाइयां (दर्द निवारक) न दें। यह बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इन बातों की अनदेखी न करें
छोटे बच्चों में कुछ डेंजर साइन होते हैं। अगर अभिभावक इनका ध्यान रखें तो समस्या गंभीर नहीं होगी। जैसे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ या तेज बुखार तो नहीं हैै। बच्चे का यूरिन कम तो नहीं हुआ है। बच्चे की नींद में कमी या फिर उसने खाना-पीना तो बंद नहीं किया है। अगर लगातार खांसी भी आए तो सचेत हो जाएं। अगर ऐसे लक्षण नहीं हैं तो ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। आजकल बच्चों को घर के अंदर ही रखें। बाहर बिल्कुल न निकालें।
निमोनिया को ऐसे पहचाने
छोटे बच्चों में निमोनिया की आशंका सबसे ज्यादा रहती है। सर्दी-जुकाम से इसकी शुरुआत होती है और बाद में फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं। अगर पैरेंट्स थोड़ी सावधानी बरतें तो इसकी पहचान वे खुद भी कर सकते हैं। जिन बच्चों को ज्यादा खांसी-जुकाम की समस्या है और जब वे गहरी नींद में सो रहे हैं तो उनके बगल में बैठ जाएं। उसकी सांसों को गिनें। इसके लिए बच्चे की पेट पर ध्यान लगाएं। बच्चे का पेट ऊपर और नीचे हो रहा है तो उसको एक सांस गिनें। सांस की रफ्तार दो माह से कम उम्र के बच्चों में एक मिनट में 60 बार से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे ऊपर गड़बड़ है। इसी तरह दो माह से एक साल तक के बच्चों की सांस 50 बार, एक से पांच साल तक के बच्चों की 40 बार और इनसे बड़े बच्चों की 30 बार से अधिक नहीं होनी चाहिए। अगर ज्यादा है तो डॉक्टर को बताएं।
डॉ. दीपक शिवपुरी, वरिष्ठ शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ, जयपुर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो