बारिश के मौसम में बच्चों को तुलसी के चार पत्ते, दो लौंग, चार काली मिर्च और गुड़ या शहद ले सकते हैं। शहद का प्रयोग काढ़ा ठंडा होने के बाद मिलाएं। गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए एक छोटा टुकड़ा रात में भिगो दें। सुबह काली मिर्च, लौंग के साथ आधा होने तक उबालें। इसके बाद उन्हें पीने के लिए दें। रात में सोते समय हल्दी मिक्स दूध दें।
•Jul 03, 2020 / 07:29 pm•
Ramesh Singh
हाइजीन का ध्यान
बारिश में शिशु के अलावा उसके आसपास सफाई रखना भी बहुत जरूरी है। नमी से बैक्टीरिया की प्रजनन क्षमता काफी तेज हो जाती है। शिशु के कमरे में पोछा लगाएं। घर के कूड़ेदान, कूलर, किचन का सिंक, गैस अच्छे से साफ करें। डेंगू-मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से बचने के लिए घर में व पानी न जमा होने दें।
इन हिस्सों पर वायरस ज्यादा सक्रिय होते
मानसून के मौसम में बैक्टीरिया और वायरस बहुत ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि आप बच्चों को गीला न होने दें। शिशु को बरसात के पानी में भीगने से बचाएं। इसके अलावा घर के बिस्तर, कपड़े, फर्श आदि को भी गीला होने से बचाएं। थोड़े-थोड़े समय में शिशु की नैपी/लंगोट चेक करते रहें। शिशु के दैनिक क्रिया के थोड़े समय में ही बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं और शिशु की नाजुक त्वचा पर हमला कर सकते हैं। कई बार गीलेपन के कारण बच्चों को जुकाम-बुखार जैसी समस्या भी हो जाती है। यदि बच्चा थोड़ा बड़ा है, तो उसे पानी में खेलने, कपड़े गीले करने, पांव और सिर गीला करने से रोकें।
एक्सपर्ट : डॉ. नेहा अग्रवाल, बाल रोग विशेषज्ञ, जेके लोन हॉस्पिटल, जयपुर
एक्सपर्ट : डॉ. निशा कुमारी ओझा, आयुर्वेद विशेषज्ञ (बाल रोग), एनआइए, जयपुर