इन बदलावों को समझें
पहली तिमाही: सामान्य दिनचर्या के काम करते हुए कमर सीधी करके बैठें व लेटें। अधिक वजन उठाने से भी बचें।
दूसरी-तीसरी तिमाही: प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन के अधिक स्राव से शरीर के लिगामेंट स्वत: ढीले होने लगते हैं जिस कारण जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द रहता है। लेटने के बाद करवट लेकर उठें। बैठकर उठते हैं तो हाथों का सपोर्ट जरूर लें। उकडू न बैठें। जितना हो सके कमर सीधी रखें। बिना सहारे के कभी न बैठें। दूसरी तिमाही के बाद से पेट आगे की ओर बढ़ता है व रीढ़ के निचले हिस्से में मुड़ाव आने लगता है। कमर के पीछे तकिए से सहारा दें।
उठते ही चक्कर आना…
लो ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर अक्सर बैठकर उठते ही चक्कर आना और आंखों के सामने अंधेरा छाना आम है। इस समस्या को सुपाइन हाइपोटेंशन कहते हैं। उठते ही पहले बॉडी को रिलैक्स करें।
मूवमेंट है जरूरी
प्रेग्नेंसी में प्राकृतिक रूप से रक्त के गाढ़े होने की प्रवृत्ति हो जाती है। ऐसे में शरीर का मूवमेंट जरूरी होता है। लंबे समय तक बैठने व लेटने से रक्त इकट्ठा होता है जिससे दर्द व सूजन रहती है।
बायीं करवट लेटने के फायदे
दूसरी तिमाही के बाद से बढ़ता वजन बैठने, उठने और लेटने में तकलीफ पैदा करता है। इससे कई महिलाओं में असहज महसूस करने के साथ घबराहट और बेचैनी होना सामान्य है। विशेषज्ञ महिला को बायीं करवट लेटने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे महिला व शिशु दोनों के शरीर में रक्तसंचार सुचारू व बेहतर होता है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली बेचैनी में बायीं करवट लेटना फायदेमंद है। गर्भावस्था के दौरान अंतिम तीन माह में इस तरह लेटना ज्यादा सही है।
एक्सपर्ट : डॉ. मेघा शर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, जयपुर