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परिवार के साथ जमीन पर बैठकर भोजन, योग-व्यायाम का भी तरीका है

करीब 30-40 वर्ष पहले तक लोग जमीन पर बैठकर परिवार संग या पंगत में बैठकर खाना पसंद करते थे। ऐसा चलन अधिकतर घरों में था। भारतीय परंपरानुसार जब हम जमीन पर बैठकर भोजन करते हैं तो वह तरीका सुखासन या पद्मासन जैसा ही होता है। यह आसन हमारे स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभप्रद है। जानते हैं परिवार संग जमीन पर बैठकर खाने के फायदों के बारे में-

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परिवार के साथ जमीन पर बैठकर भोजन, योग-व्यायाम का भी तरीका है

परिवार के साथ जमीन पर बैठकर भोजन, योग-व्यायाम का भी तरीका है

पेट की पोजिशन ओवर ईटिंग से बचाती है
बैठकर खाने से थाली की तरफ झुकना पड़ता है। इससे पेट की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। पाचन सिस्टम एक्टिव रहता है। शरीर का यह हिस्सा भी मजबूत होता है। खाते हुए झुकने से ओवर ईटिंग नहीं हो पाती है। ऐसी परंपरा में परिवार के साथ ऋतु चक्र के अनुरूप व पोषक तत्वों से भरपूर भोजन ही लिया जाता है। परिवार संग भोजन सुकून भी देता है। चबाकर खाने की आदत के साथ पाचन रस भी स्रावित होता है।
एक तरह की एक्सरसाइज भी
जमीन पर बैठने से रीढ़ की हड्डी के निचले भाग पर जोर पड़ता है। शरीर को आराम मिलता है। सांस सामान्य रहती है। मांसपेशियों का खिंचाव कम होता है। पेट, पीठ के निचले हिस्से और कूल्हे की मांसपेशियों में लगातार खिंचाव रहता है जिसकी वजह से दर्द और असहजता से छुटकारा मिलता है। इसमें खाना के साथ व्यायाम भी होता है।
परिवार से निकटता बढ़ती है
एकसाथ बैठकर खाने के दौरान परिवार में एक दूसरे से निकटता बढ़ती है। लोग एक दूसरे को अच्छे से समझते और मदद करते हैं। पद्मासन में बैठकर खाने से मानसिक तनाव दूर होता है व जठराग्नि मजबूत होती है। एकसाथ बैठकर खाते हैं तो आप परिवार को समय भी देते हैं। आजकल लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या कम उम्र में होने लगी है। जमीन पर बैठकर खाने से ब्लड सर्कुलेशन भी सामान्य रहता है। जहां बैठकर खाते हैं वहां जूते-चप्पल नहीं जाते थे। घर बैक्टीरिया फ्री होता, बीमारियों की आशंका घटती है।
घुटने-नाड़ी स्वस्थ रहते
आलथी-पालथी लगाकर बैठने से नाडिय़ों पर दबाव कम होता है जिससे ब्लड सप्लाई अच्छी होती है। भोजन पचाने के लिए पेट को भरपूर ब्लड की सप्लाई मिलती है। इससे हार्ट को कम मेहनत करनी पड़ता है। इसमें घुटनों को मोडकऱ बैठना होता है। नियमित करने से घुटनों में लचीलापन आता है। जोड़ों की समस्या नहीं होती है। घुटने स्वस्थ रहते हैं।
डॉ. रूपराज भारद्वाज, वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर