
bipolar disorder
Bipolar disorder : मां बनना एक सुखद अहसास होता है और इस अहसास को एक मां ही समझ सकती है। लेकिन आज के समय में एक महिला से किसी कारण कि वजह से यह सुख की घड़ी छिन जाती है। आज का खान पान, लाइफस्टाइल और भागदौड़ भरी जिंदगी ने लोगों के सुख चयन छिन लिए है।
बाजार में कई तरह के ऐसी सामग्री आने लगी है जिनकी वजह से एक लड़की शादी के बाद मां नहीं बन पाती है। आज हम ऐसी ही एक बीमारी की बात करेंगे जिस की वजह से महिला कभी मां नहीं बन पाती है।
ल्यूपस (bipolar disorder) एक ऑटोइम्यून रोग है। इस प्रकार की बीमारी में हमारा इम्यून सिस्टम अपने ही शरीर के खिलाफ काम करने लगता है। यह इम्यून सिस्टम विभिन्न अंगों और ऊतकों को हानि पहुंचाने में सक्षम होता है। इसके परिणामस्वरूप जोड़ों, त्वचा, किडनी, रक्त कोशिकाओं, मस्तिष्क, हृदय और फेफड़ों को नुकसान हो सकता है। इस रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं के माध्यम से इसके लक्षणों और दुष्प्रभावों को नियंत्रित करना संभव है।
ल्यूपस (bipolar disorder) की बीमारी के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं। पहले प्रकार को क्यूटेनस ल्यूपस एरिथमेटस कहा जाता है, जिसमें केवल त्वचा प्रभावित होती है और अन्य अंग सामान्य रहते हैं। दूसरे प्रकार को ड्रग इनड्यूस्ड ल्यूपस के नाम से जाना जाता है, जिसमें कुछ व्यक्तियों में किसी अन्य बीमारी की दवा के सेवन से ल्यूपस (bipolar disorder) के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। आमतौर पर, दवा को बंद करने पर ये लक्षण ठीक हो जाते हैं। तीसरा प्रकार नियोनेटल ल्यूपस है, जो उस स्थिति को दर्शाता है जब जन्म के समय ही शरीर में ल्यूपस के लक्षण मौजूद होते हैं।
ल्यूपस (bipolar disorder) की पहचान करना सरल नहीं है। इसके अधिकांश लक्षण अन्य बीमारियों के समान होते हैं। जोड़ों, मांसपेशियों और छाती में दर्द, सिरदर्द, बुखार, बालों का झड़ना, मुंह में छाले, लगातार थकान, भ्रमित होना और चेहरे पर तितली के आकार का रैश (बटरफ्लाई रैश) इसके प्रमुख लक्षण हैं। यदि कोई लक्षण बार-बार प्रकट होता है या ठीक नहीं होता है, तो डॉक्टर से परामर्श करके जांच कराना आवश्यक है। ल्यूपस के कारण आंखों में सूखापन, एनीमिया, और दिल या किडनी की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ सकता है।
ल्यूपस का कोई निश्चित कारण नहीं है। कुछ आनुवंशिक म्यूटेशन के कारण ल्यूपस (bipolar disorder) होने की संभावना बढ़ जाती है। हार्मोनल प्रतिक्रियाएँ (विशेषकर एस्ट्रोजन), प्रदूषण, धूम्रपान, अत्यधिक चिंता और अधिक सूर्य के संपर्क में रहने से भी ल्यूपस का खतरा बढ़ता है। महिलाओं में इसकी संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है। यदि माता या पिता को ल्यूपस है, तो उनके बच्चों में भी इसके होने की संभावना रहती है।
ल्यूपस का निदान ब्लड टेस्ट, बायोप्सी और अन्य जांचों के माध्यम से किया जाता है। मरीज के लक्षणों के अनुसार उपचार निर्धारित किया जाता है, जिससे रोग की गंभीरता को कम किया जा सके। इसमें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, कॉर्टिकोस्टेरॉयड और इम्यूनोडिप्रेसेंट दवाओं का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही, लक्षणों के आधार पर उच्च रक्तचाप, एनीमिया, किडनी संबंधी समस्याओं आदि का भी उपचार किया जाता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Updated on:
26 Sept 2024 04:34 pm
Published on:
26 Sept 2024 11:47 am
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