
Brain Tumour Symptoms (Photo- freepik)
Brain Tumour Symptoms: 19 साल की उम्र में जिंदगी आमतौर पर एग्जाम, करियर प्लान और छोटे-मोटे तनावों के इर्द-गिर्द घूमती है। न्यूकैसल की एक 19 साल की लड़की के साथ भी कुछ ऐसा ही था। एग्जाम के दौरान उसे अजीब-अजीब लक्षण दिखने लगे, पेपर पर रंग नजर आना, चक्कर, सीधा चलने में दिक्कत, एक तरफ झुक जाना और पीठ दर्द। वह कई बार GP के पास गई, लेकिन हर बार यही कहा गया कि यह एग्जाम स्ट्रेस है। विटामिन लेने और आराम करने की सलाह दी गई। लेकिन लक्षण कम होने की बजाय बढ़ते गए।
जून 2022 में वह अपनी मां के साथ एक रूटीन डॉक्टर अपॉइंटमेंट पर गई थी। वहीं टॉयलेट में वह अचानक बेहोश हो गई।अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों को समझ आ गया कि मामला गंभीर है। जांच में सामने आया कि लड़की को हाइड्रोसेफेलस है, एक ऐसी स्थिति जिसमें दिमाग में ज्यादा फ्लूइड जमा हो जाता है और ब्रेन पर प्रेशर बढ़ जाता है। MRI और CT स्कैन से असली वजह सामने आई। ब्रेन ट्यूमर, जो फ्लूइड के नॉर्मल फ्लो को रोक रहा था। यह ट्यूमर चुपचाप बढ़ रहा था और इसके लक्षणों को स्ट्रेस समझकर नजरअंदाज किया जा रहा था।
यह कहानी सिर्फ एक ब्रेन ट्यूमर की नहीं, बल्कि इस बात की चेतावनी है कि लगातार बना रहने वाला स्ट्रेस कैसे शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ाकर गंभीर बीमारियों का रास्ता बना सकता है। डॉ. आरती के अनुसार, बीमारियां कभी अकेले नहीं आतीं, इनके पीछे कई कारण होते हैं। विषाक्त पदार्थ (Toxins), आंत का माइक्रोबायोम, आनुवंशिकता (Genetics), खान-पान और जीवनशैली, ये सब मिलकर बीमारियों की नींव रखते हैं। लेकिन इनमें सबसे चुपके से वार करने वाला है, तनाव! तनाव बीमारी को और बिगाड़ देता है! इसलिए इलाज के साथ-साथ मन की शांति भी जरूरी है। जब तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो शरीर में (Inflammation) बढ़ने लगती है।
डॉ. आरती बताती हैं कि क्रॉनिक स्ट्रेस शरीर के सेल्स तक को प्रभावित करता है। यह ब्लड फ्लो, नर्व फंक्शन और हार्मोन बैलेंस बिगाड़ सकता है। जब ऐसे संकेतों को बार-बार नजरअंदाज किया जाता है, तो बीमारी “साइलेंट” रहते हुए गंभीर रूप ले लेती है।
Updated on:
18 Dec 2025 02:31 pm
Published on:
18 Dec 2025 02:03 pm
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