राजस्थानी भाषा में कैर पर कहावतें प्रचलित हैं। कुछ कहावतें नीचे दी जा रही हैं- ”बैठणो छाया मैं हुओ भलां कैर ही, रहणो भायां मैं हुओ भलां बैर ही” अर्थात बैठो छाया में चाहे कैर ही हो और रहो भाईयों के बीच चाहे बैर ही हो। कैर पकने के बाद सब्जी में काम नहीं आते हैं । केर की सब्जी से बढ़िया इस जमाने में कोई ऑर्गेनिक सब्जी नहीं हैं । यह सब्जी औषधिय गुणों से पूर्ण हैं । केर की सब्जी के टेस्ट के आगे सभी सब्जियां फेल है । मारवाड़ में केर, सांगरी, कुंता की सब्जी बड़े चाव से खाई जाती है और यह गर्मियों में किसानों के इनकम का सोर्स भी है । 70-80 रुपये किलो अभी गीले खरीदे जाते हैं और सुखाने के बाद 800 रुपये से 1200 रुपये तक बिकते हैं । सूखे केर की मांग वहां ज्यादा है जहां मारवाड़ी रहते हैं । मद्रास,सूरत व अन्य दक्षिण में रहने वाले ,यहां तक कि विदेशों में भी मंगवाये जाते हैं ।
केर का अचार बहुत बढ़िया होता है । केर तोड़ने समय ध्यान रखें इसके कांटे इतने तीखे होते है कि टच होते ही शरीर में घुस जाते हैं । केर की सब्जी विशेषतौर से उन लोगों के लिये बहुत फायदेमंद है जिन्हें मधुमहे जैसी बीमारी है । वैसे भी बहुत ही स्वास्थ्य वर्धक है
केर का अचार बहुत बढ़िया होता है । केर तोड़ने समय ध्यान रखें इसके कांटे इतने तीखे होते है कि टच होते ही शरीर में घुस जाते हैं । केर की सब्जी विशेषतौर से उन लोगों के लिये बहुत फायदेमंद है जिन्हें मधुमहे जैसी बीमारी है । वैसे भी बहुत ही स्वास्थ्य वर्धक है
कैर छोटे छोटे गोल गोल होते है। यह फल कडवा होता है इसलिए इसे खाने योग्य बनाने के लिए इसे मिटटी के एक बड़े मटके में पानी में नमक का घोल बनाकर उसमें इसे कई दिनों तक डुबोकर रखा जाता है जिससे इसका कड़वापन ख़त्म होकर खट्टा मीठा स्वाद हो जाता है।इसका बिना सुखाये भी आचार व सब्जी बनाकर सेवन किया जा सकता है। राजस्थान में आचार बनाने के लिए यह लोगों की पहली पसंद है। आजकल बाजार में सूखा केर उपलब्ध रहता है। यह उदर (पेट) की सभी बीमारियों में लाभदायी है। जैसे खिंपोळी (संधिवात) जोड़ों के में दर्द में रामबाण औषधी है। ये प्रकृति का नियम है कि जिस क्षेत्र में जो रोग ज्यादा होता है। वहां उस रोग की प्राकृतिक औषधियों की पैदावार अधिक होती हैं। ये सब्जियां साल भर रखनी हो तो इन्हें काम में लेने से पहले उबालना चाहिए।
पोषक तत्त्व : ऊर्जा से भरपूर कैर में कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए और कार्बोहाइड्रेट्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट युक्त कैर और सांगरी की सब्जी विभिन्न रोगों से बचाती है।
इस्तेमाल : सूखे कैर को पीसकर इसका चूर्ण बनाकर सुबह खाली पेट लेने से मधुमेह में लाभ मिलता है। कैर के डंठल से बने चूर्ण से कफ और खांसी में आराम होता है। कैर की छाल के चूर्ण से पेट साफ रहता है और कब्ज की समस्या दूर होती है। कैर और सांगरी की सब्जी बनाने के लिए इसको पहले उबालना चाहिए।
ये हैं फायदे : यह पेट संबंधी, जोड़ों के दर्द, दांत दर्द, गठिया, दमा, खांसी, सूजन, बार-बार बुखार होना, मलेरिया, डायबिटीज, बदहजमी, एसिडिटी, दस्त और कब्ज में काफी लाभदायक होता है।
इस्तेमाल : सूखे कैर को पीसकर इसका चूर्ण बनाकर सुबह खाली पेट लेने से मधुमेह में लाभ मिलता है। कैर के डंठल से बने चूर्ण से कफ और खांसी में आराम होता है। कैर की छाल के चूर्ण से पेट साफ रहता है और कब्ज की समस्या दूर होती है। कैर और सांगरी की सब्जी बनाने के लिए इसको पहले उबालना चाहिए।
ये हैं फायदे : यह पेट संबंधी, जोड़ों के दर्द, दांत दर्द, गठिया, दमा, खांसी, सूजन, बार-बार बुखार होना, मलेरिया, डायबिटीज, बदहजमी, एसिडिटी, दस्त और कब्ज में काफी लाभदायक होता है।
सावधानी : गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान कैर का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए। यह फल कड़वा होता है। इसे खाने योग्य बनाने के लिए मिट्टी के मटके में पानी में नमक का घोल बनाकर कई दिनों तक डूबोकर रखा जाता है, जिससे इसका कड़वापन खत्म होकर खट्टा-मीठा स्वाद हो जाता है।
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डिस्क्लेमर- सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। राजस्थान पत्रिका इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
डिस्क्लेमर- सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। राजस्थान पत्रिका इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।