जयपुरPublished: Jul 03, 2020 06:56:59 pm
Ramesh Singh
बारिश के मौसम में छोटे बच्चे ज्यादा बीमार होते हैं। इस समय शिशु की ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। दरअसल तेज गर्मी के बीच अचानक बारिश के कारण तापमान जल्दी-जल्दी कम-ज्यादा होता रहता है और मौसम में नमी आ जाती है, जिसके कारण छोटे बच्चों में बुखार, खांसी, जुकाम, बैक्टीरियल एलर्जी, फंगल इंफेक्शन, दाद-खाज आदि का खतरा बढ़ जाता है।
बच्चों की इम्युनिटी कमजोर करता संक्रमण
मौसम के बदलते मिजाज के बीच होने वाला संक्रमण बच्चों की इम्युनिटी कमजोर करता है। ऐसे में बच्चों के खानपान के साथ जरूरी एहतियात बरतनी चाहिए। बच्चों को खाने में दूध, फल और दाल का पानी देना बहुत जरूरी है। बच्चों के शरीर की रोग प्रतिरोधकता मजबूत रहेगी तो बीमारियों का खतरा भी कम रहेगा।
खुद न करें इलाज, पहले जानें कारण
बारिश में सर्दी, जुकाम और बुखार ज्यादा होता है। इसके होने का अलग कारण होता है जिसकी वजह से बच्चों में अलग-अलग लक्षण दिखते हैं। ऐसे में बच्चे की बीमारी का कारण जानना जरूरी है। माता-पिता बच्चे को सर्दी, जुकाम और बुखार की शिकायत हुई तो खुद इलाज करने लग जाते हैं। कई बार तो वे इससे पहले हुई तकलीफ की दवा देने लगते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। डॉक्टरी सलाह बहुत है।
समय से टीकाकरण भी 80 प्रतिशत संक्रमण से बचाव करता
बारिश में तापमान में उतार-चढ़ाव होता है। नवजात के कमरे का तापमान 27 से 30 डिग्री के बीच होना चाहिए। कमरे में ऑक्सीजन व नमी की कमी होगी तो उसे सांस लेने में तकलीफ के साथ उल्टी व दस्त की भी शिकायत हो सकती है। मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए समय पर टीकाकरण कराएं। इससे 80 से 90 फीसदी संक्रमित बीमारियों से बचाया जा सकता है। दस फीसदी बच्चों को टीकाकरण के बाद भी परेशानी होती है तो समय रहते उनका इलाज कराना चाहिए।