प्रमुख वजह-
आमतौर पर मोतियाबिंद बढ़ती उम्र के कारण होता है लेकिन आंख में चोट, डायबिटीज, लंबे समय तक ली जाने वाली स्टेरॉइड्स या किसी प्रकार की आई सर्जरी से भी इस रोग की शिकायत हो सकती है।
ऑपरेशन कब-
यदि आपको चश्मा लगाने के बाद भी कम दिखाई देने से रोजमर्रा के कामों में दिक्कत हो तो ऑपरेशन करा लेना चाहिए। लंबे समय तक उपचार न हो तो मोतियाबिंद के पककर फूटने की आशंका बढ़ जाती है जिससे कालापानी या अंधेपन की समस्या हो सकती है। मरीज को मोतियाबिंद के अलावा यदि कोई आंख के पर्दे या नस संबंधी अन्य बीमारी हो तो कई मामलों में सफल ऑपरेशन के बाद भी रोशनी पूरी तरह से वापस नहीं आती। कुछ मरीजों को ऑपरेशन के बाद काले मच्छर (फ्लोटर्स) भी दिखाई दे सकते हैं जो समय के साथ धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। वहीं कुछ मरीजों में ऑपरेशन के कई सालों बाद लैंस के पीछे की झिल्ली मोटी हो जाती है जिससे हल्का धुंंधलापन आ सकता है। इस झिल्ली को लेजर किरणों से कुछ मिनट की प्रक्रिया द्वारा काटा जा सकता है।