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ऐसे मनाएं सेहतमंद दीपावली

दिवाली खुशियों का त्योहार है लेकिन पटाखों का धुंआ वातावरण को प्रदूषित करता है। सांस की तकलीफ के साथ अन्य कई तरह की बीमारियों के मरीजों को भी परेशानी होती है। पटाखों के धुंए से ऑक्सीजन की कमी, अस्थमा-हार्ट पैशेंट रखे ध्यान

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ऐसे मनाएं सेहतमंद दीपावली

दिवाली खुशियों का त्योहार है लेकिन पटाखों का धुंआ वातावरण को प्रदूषित करता है। सांस की तकलीफ के साथ अन्य कई तरह की बीमारियों के मरीजों को भी परेशानी होती है। 30 डेसिबल की आवाज के बीच हम रोजाना अपना दैनिक काम करते हैं। 80 से 100 डेसिबल के बीच कानों तक आवाज पहुंचती है तो कान के पर्दों को नुकसान होता है।

ऑक्सीजन लेवल घटता

जब भी कोई चीज जलती है तो उसके आसपास ऑक्सीजन का स्तर घटता है क्योंकि जलने के लिए किसी भी चीज को ऑक्सीजन की जरूरत होती है। दिवाली के दिन बड़ी मात्रा में पटाखे चलाए जाते हैं जिससे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा घटती है। इस वजह से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं।

अस्थमा अटैक भी होता

सांस के रोगियों में ऑक्सीजन खींचने की क्षमता कमजोर होती है। पटाखों का धुंआ फैलने से ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से घटती है। ऐसे में प्रदूषित हवा से ऑक्सीजन खींचना फेफड़ों के लिए मुश्किल होता है। 20 से 30 मिनट एसे माहौल में रहने के बाद व्यक्ति की सांस फूलने लगती है। यह स्थिति अस्थमा अटैक का खतरा भी बढ़ाती है।

तनाव न लें

आतिशबाजी का धुंआ वातावरण में घुलता है। यह प्रदूषण बीपी के रोगियों में तनाव बढ़ा सकता है। जिन्हें बीपी संबंधी कोई समस्या नहीं है उन्हें भी वातावरण में धुंआ भरने की वजह से बेचैनी, घबराहट और सांस संबंधी समस्या हो सकती है।

चश्मा पहनें

पटाखों में फॉस्फोरस होता है। हाथ से पटाखा छूने के बाद उसी हाथ को हम आंखों पर लगा लेते हैं। फॉस्फोरस के संपर्क में आते ही आंखों में खुजली होती है। कैमिकल इंफेक्शन से आंखों में लालिमा हो सकती है। पटाखे चलाते हुए चश्मा पहनना चाहिए।

प्रोटीनयुक्त मिठाई लें

दिवाली मिठाइयों का त्योहार है। लोग मीठा और चटपटा खूब खाते हैं। हालांकि जो लोग डायबिटीज के रोगी हैं उन्हें हैवी कैलोरी युक्त डाइट लेने से बचना चाहिए। वे प्रोटीनयुक्त मिठाई ले सकते हैं। चाशनी में डूबे रसगुल्ले निचोडकऱ खाएं इससे मिठास खत्म हो जाएगी और मुंह भी मीठा हो जाएगा। यदि परहेज बता रखी है तो मन पर काबू रखें।

अटैक से बचाए मास्क

दूषित हवा से बचाव के लिए अस्थमा मास्क पहनने से सांस संबंधी कई समस्याओं से बचा जा सकता है। अस्थमा के जो गंभीर रोगी हैं उन्हें इमरजेंसी के लिए पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर साथ में रखना चाहिए। सिलेंडर दो से तीन किलो के होते हैं।

हृदय रोगी रखें ख्याल

हृदय रोगियों की आर्टरी थोड़ी सिकुड़ जाती हैं जिससे रक्त का प्रवाह धीमा होता है और ऑक्सीजन कम पहुंचती है। ऑक्सीजन की कमी और रक्त प्रवाह धीमा होने से हार्ट अटैक के साथ हार्ट मसल्स डैमेज होती है।

नवजात का रखें खयाल

नवजात को आतिशबाजी वाली जगह लेकर न खड़े रहें। दिवाली के दिन शिशु के कान में रुई डालकर भीतर के कमरे में रखें। बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है, धुंए से भी बचाएं।

डॉ. लीनेश्वर हर्षवर्धन, चिकित्सा अधीक्षक कावंटिया अस्पताल जयपुर

डॉ. दिपांशु गुरनानी, ईएनटी विशेषज्ञ, नारायणा अस्पताल, जयपुर