
Childhood Cancers Have Higher Cure Rates, But Early Detection is Key
हर साल, दुनियाभर में 4 लाख से ज्यादा बच्चों में कैंसर (Childhood cancer ) पाया जाता है, जिनमें से लगभग 50,000 बच्चे भारत में ही होते हैं। बच्चों को कैंसर का इलाज करने के लिए खास तरीकों की जरूरत होती है, जिससे इलाज के साथ उनकी जीवनशैली भी अच्छी रहे।
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में कैंसर का इलाज बड़ों से 20-25 फीसदी ज्यादा सफल होता है। साथ ही, उन्हें इलाज के दौरान बड़ों के मुकाबले कम दुष्प्रभाव होते हैं।"
लेकिन, "बच्चों में कैंसर (Childhood cancer ) की अपनी चुनौतियां भी हैं।" डॉक्टर रुचिरा मिश्रा कहती हैं, "हमें अभी और लोगों तक पहुंचने की जरूरत है, इलाज के लंबे समय के असर को ध्यान में रखते हुए बेहतर इलाज करना है और समाज के अलग-अलग तबकों के बीच मौजूद असमानता को दूर करना है।"
बच्चों में होने वाले सभी कैंसरों में से लगभग 4 फीसदी कैंसर ही होते हैं। ल्यूकेमिया या ब्लड कैंसर सबसे आम है, जो लगभग 30 फीसदी बच्चों में होता है। इसका इलाज भी पहले से बेहतर हो चुका है और अब स्टैंडर्ड रिस्क ल्यूकेमिया का इलाज करीब 80 फीसदी तक सफल हो जाता है।
अमीर देशों में बच्चों के कैंसर (Childhood cancer ) का इलाज बहुत अच्छा है, 80 फीसदी से भी ज्यादा सफलता मिलती है। लेकिन, 80 फीसदी से ज्यादा कैंसर के मामले गरीब और मध्यम आय वाले देशों में होते हैं, जहां इलाज की सुविधाएं कम हैं और इलाज की सफलता सिर्फ 20-40 फीसदी ही है।
इसलिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक सभी बच्चों में कैंसर का इलाज करीब 60 फीसदी तक सफल बनाने का लक्ष्य रखा है, और भारत भी इसमें शामिल है।
डॉक्टर गौरी कपूर कहती हैं, "यह समझना जरूरी है कि बच्चों में कैंसर (Childhood cancer ) बड़ों से अलग होता है और इसका व्यवहार और इलाज भी अलग होता है। उनका कैंसर इलाज के प्रति अच्छा रिस्पांस देता है और अगर जल्दी पहचान हो जाए तो इलाज बहुत सफल हो सकता है।"
डॉक्टर इंटेज़ार मेहदी का कहना है कि भारत में बच्चों में कैंसर (Childhood cancer ) के मामले बढ़ रहे हैं, खासकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में। इसका कारण जागरूकता बढ़ने से ज्यादा से ज्यादा बच्चों में कैंसर का पता चलना है।
बच्चों में कैंसर के लक्षण आम बीमारियों के लक्षणों से मिलते-जुलते होते हैं, इसलिए इन्हें पहचानना मुश्किल होता है। लेकिन, कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन्हें जल्दी पहचानना जरूरी है।
उदाहरण के लिए, ल्यूकेमिया वाले बच्चों में बार-बार बुखार आना, खून बहना और पेट में सूजन होना जैसे लक्षण हो सकते हैं। मेडिकल प्रोफेशनल पेट में सूजन को विल्म्स ट्यूमर का संकेत मानकर जांच करते हैं। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में आंखों में असामान्यता, जैसे मोतियाबिंद जैसा सफेद धब्बा, आंख के कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
डॉक्टर सुनील भट बच्चों में बार-बार बुखार आना, बिना वजह खून बहना और शरीर में असामान्य गांठ जैसे लक्षणों को पहचानने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देते हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर का जल्दी पता चलना और सही इलाज बच्चों के लिए बेहतर परिणाम ला सकता है। इसलिए, माता-पिता को बच्चों में होने वाले शुरुआती लक्षणों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
Published on:
16 Feb 2024 10:14 am
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