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कोविड-19: तांबे की मिश्रित कोटिंग से करेंगे हानिकारक किटाणुओं का खात्मा

वायरस और किटाणुओं के हवा और ठोस सतह पर जिंदा रहने की अवधि का पता चलने के बाद अब वैज्ञानिक इस नई विधि का प्रयोग करने की सलाह दे रहे हैं। भारत में तांबे के बरतनों का सदियों से उपयोग होता आ रहा।

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जयपुर

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Mohmad Imran

Jun 25, 2020

कोविड-19: तांबे की मिश्रित कोटिंग से करेंगे हानिकारक किटाणुओं का खात्मा

कोविड-19: तांबे की मिश्रित कोटिंग से करेंगे हानिकारक किटाणुओं का खात्मा

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने हमारी जीवनशैली और दिनचर्या को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस का तोड़ निकालने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इस बीच कुछ वैज्ञानिकों ने हानिकारक किटाणुओं से छुटकारा पाने के लिए भारत की एक पुरानी पद्धति पर विश्वास जताया है। दरअसल वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि तांबे (Copper) की मिश्रित धातुओं के लेप से हानिकारक किटाणुओं और वायरस को आसानी से खत्म किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तेजी से एंटी-बैक्टीरियल दवाओं (Anti Bacterial Medicine) का इस्तेमाल हम कर रहे हैं उससे भविष्य में ये दवाएं हम पर बेअसर हो जाएंगी। यही वजह है कि तांबे गुणों को अब इन वायरस और किटाणुओं के खिलाफ उपयोग करने का सुझाव दे रहे हैं। एक शोध में सामने आया है कि हर साल दुनिया भर में सात लाख लोगों की ऐसे वायरस जनित रोगों से हो जाती है जिन वायरस पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर ही नहीं होता। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तेजी से हम वायरस और अन्य किटाणु जनक रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करते जा रहे हैं, आने वाले सालों में कई बीमारियों पर दवाएं बेअसर साबित होंगी और ऐसे रोगों से मरने वालों की संख्या हर साल एक करोड़ लोगों की जान जाने का अंदेशा है। बीते कुछ दशकों में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लडऩे वाली दवाओं का बेअसर होना इसका एक स्पष्ट संकेत है।

सतह पर मौजूद रहता वायरस
कोरोना वायरस समेत असंख्य किटाणु हवा से लेकर आस-पास की चीजों की सतह पर मौजूद रहते हैं। कोरोना का नोवेल कोविड-19 वायरस अय वायरस की तुलना में भारी होने के कारण ज्यादा देर हवा में नहीं रह पाता और ठोस सतह पर चिपक जाता है। लोहे जैसी ठोस सतह वाली धातुओं पर यह 10 दिनों तक भी जिंदा रह सकता है। ऐसे ही प्लास्टिक और अन्य सतहों पर इसके कुछ घंटो से लेकर सप्ताह भर से ज्यादा जिंदा रहने के बारे में पता चला है। इनके संपर्क में आने पर ये वायरस, किटाणु और रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिससे हम बीमार पड़ जाते हैं।

तांबे की कोटिंग बचाएंगी रोगों से
वैज्ञानिकों का कहना है कि तांबे की मिश्रित धातुओं की कोटिंग कुछ घंटोंमें ही ९० फीसदी से ज्यादा रोगाणुओं को नष्ट कर देता है। तांबे के इन्हीं अचूक गुणों के कारण भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही उपयोग में लिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं भारत में तो आज भी तांबे के बर्तनों को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। तांबा अब महंगा हो गया है और स्टील एवं चीनी मिट्टी एवं प्लास्टिक क्रॉकरी ने इन्हें रिप्लेस कर दिया है। ऐसे में अगर घर के दरवाजों, खिड़कियों और ऐसे बटन जिन्हें हम दिनभर में दर्जनों पर छूते हैं उनपर तांबे की कोटिंग कर हम वायरस के संपर्कमें आने से बच सकते हैं। शोधकर्ता टाइटेनियम और टाइटेनियम मिश्रित धातुओं के उपयोग को लेकर आशान्वित हैं कि क्योंकि इन्हें आसानी से पिघलाया जा सकता है। सूरज की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने पर टाइटेनियम डाइऑक्साइड ऐसे पैराक्साइड पैदा करता है जो किटाणुओं को नष्ट कर देते हैं। कोरोना वायरस को कमज़ोर करने के लिए भी इसी तरह की कोटिंग वाली सतहों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रतिदिन इसका प्रयोग करने से पेट दर्द, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी परेशानियों से निजात मिल सकती है। शरीर की आंतरिक सफाई के लिए तांबे का पानी कारगर होता है। इसके अलावा यह लिवर और किडनी को स्वस्थ रखता है और किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से निपटने में तांबे के बर्तन में रखा पानी लाभप्रद होता है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पूरी तरह से शुद्ध माना जाता है। यह सभी प्रकार के बैक्टीरिया को खत्म कर देता है, जो डायरिया, पीलिया, डिसेंट्री और अन्य प्रकार की बीमारियों को पैदा करते हैं। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट कैंसर से लड़ने की क्षमता में वृद्धि‍ करते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार तांबे कैंसर की शुरुआत को रोकने में मदद करता है और इसमें कैंसर विरोधी तत्व मौजूद होते है।