कोरोना वायरस समेत असंख्य किटाणु हवा से लेकर आस-पास की चीजों की सतह पर मौजूद रहते हैं। कोरोना का नोवेल कोविड-19 वायरस अय वायरस की तुलना में भारी होने के कारण ज्यादा देर हवा में नहीं रह पाता और ठोस सतह पर चिपक जाता है। लोहे जैसी ठोस सतह वाली धातुओं पर यह 10 दिनों तक भी जिंदा रह सकता है। ऐसे ही प्लास्टिक और अन्य सतहों पर इसके कुछ घंटो से लेकर सप्ताह भर से ज्यादा जिंदा रहने के बारे में पता चला है। इनके संपर्क में आने पर ये वायरस, किटाणु और रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिससे हम बीमार पड़ जाते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि तांबे की मिश्रित धातुओं की कोटिंग कुछ घंटोंमें ही ९० फीसदी से ज्यादा रोगाणुओं को नष्ट कर देता है। तांबे के इन्हीं अचूक गुणों के कारण भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही उपयोग में लिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं भारत में तो आज भी तांबे के बर्तनों को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। तांबा अब महंगा हो गया है और स्टील एवं चीनी मिट्टी एवं प्लास्टिक क्रॉकरी ने इन्हें रिप्लेस कर दिया है। ऐसे में अगर घर के दरवाजों, खिड़कियों और ऐसे बटन जिन्हें हम दिनभर में दर्जनों पर छूते हैं उनपर तांबे की कोटिंग कर हम वायरस के संपर्कमें आने से बच सकते हैं। शोधकर्ता टाइटेनियम और टाइटेनियम मिश्रित धातुओं के उपयोग को लेकर आशान्वित हैं कि क्योंकि इन्हें आसानी से पिघलाया जा सकता है। सूरज की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने पर टाइटेनियम डाइऑक्साइड ऐसे पैराक्साइड पैदा करता है जो किटाणुओं को नष्ट कर देते हैं। कोरोना वायरस को कमज़ोर करने के लिए भी इसी तरह की कोटिंग वाली सतहों का इस्तेमाल किया जा सकता है।