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कोविड-19: शारीरिक संपर्क, ड्रॉपलेट्स के अलावा कपड़ों और जूतों से भी घर पहुंच सकता है कोरोना वायरस

locationजयपुरPublished: Aug 20, 2020 02:15:50 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

वैज्ञानिकों का मानना है कि नोवेल कोरोना वायरस का कपड़ों के माध्यम से फैलना संभव नहीं है, लेकिन वे कुछ परिस्थितियों का जिक्र जरूर करते हैं जिनमें तुरंत कपड़ों को धो लेने में ही समझदारी है

कोविड-19: शारीरिक संपर्क, ड्रॉपलेट्स के अलावा कपड़ों और जूतों से भी घर पहुंच सकता है कोरोना वायरस

कोविड-19: शारीरिक संपर्क, ड्रॉपलेट्स के अलावा कपड़ों और जूतों से भी घर पहुंच सकता है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस के कपड़ों और जूतों से फैलने का अभी तक कोई मामला या प्रमाण सामने नहीं आए हैं। लेकिन अगर हम किसी संक्रमित व्यक्ति के करीब या देखभाल कर रहे हैं तो अक्सर कपड़े धो लेना ही वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए अनिवार्य हिस्सा है। इसमें विशेष रूप से, उच्च जोखिम वाले व्यक्ति जैसे कि स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं। अधिकांश घरेलू डिटर्जेंट कपड़े पर मौजूद वायरस को मारने के लिए पर्याप्त हैं। यहां तक कि अगर आप खुद को सुरक्षित रखने के लिए क्वारनटाइन या सेल्फ-आइसोलेशन में रह रहे हैं तो आप नोवेल कोरोना वायरस से परिजनों को बचाने के लिए भी यह जरूर करें।
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कपड़ों से वायरस का जोखिम कम
सामान खरीदने या मेडिकल की दुकान पर जाने के दौरान आशंका है कि हमारे कपड़ों और जूतों से कोरोना वायरस के घर तक पहुंचने का अंदेशा है। जूते या कपड़े वायरस के संक्रमण का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है। वैज्ञानिकों का मत है कि वायरस सतह पर कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है। जबकि धातु और प्लास्टिक पर यह 2 से 3 दिनों तक जीवित रह सकता है। लेकिन वैज्ञानिक कपड़ों पर इसके ज्यादा जीवित रहने को अनुकूल नहीं मानते। कॉमनस्पिरिट हेल्थ के संक्रामक रोग विशेषज्ञ और उपाध्यक्ष डॉ. कैथलीन जॉर्डन का कहना है कि इस बारे में हमारा सर्वश्रेष्ठ अध्ययन इन्फ्लूएंजा और पहले से ज्ञात अन्य फ्लू वायरस के समान ही है। लेकिन सामान्य रूप से कपड़ों को वायरस का सबसे अच्छा इनक्यूबेटर नहीं माना जाता। वायरस के पनपने में नमी एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय भूमिका निभाती है या नहीं इसमें अब भी संशय है। लेकिन यह जरूर मानते हैं कि अधिकांश कपड़ों की सामग्री की प्रकृति इसके लिए अनुकूल नहीं है। क्योंकि कपड़े आमतौर पर एक ठोस सतह की तुलना में धागों के एक जाल जैसे होते हैं। इसलिए कपड़ों के माध्यम से वायरस के फैलने की संभावना नहीं है। लेकिन विशेषज्ञ सहमत हैं कि बाहर से आने पर तत्काल लॉन्ड्रिंग करें।

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जूतों से संक्रमण की आशंका अधिक
कपड़ों की तुलना में जूते अधिक गंदे होते हैं इसलिए उनके जरिए घर में बैक्टीरिया और अन्य दूषित पदार्थों को घर में ला सकते हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की ओर से प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि नोवेल कोरोना वायरस जूते के ठोस तलवों पर जीवित रह सकता है। अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने चीन के वुहान में एक अस्पताल में गहन चिकित्सा इकाई में चिकित्सा स्टाफ के सदस्यों द्वारा पहने गए जूते के तलवों से नमूने लिए। उन्होंने पाया कि कोविड-19 के लिए आधे नमूनों का परीक्षण पॉजिटिव था। इन निष्कर्षों ने शोधकर्ताओं को सुझाव दिया है कि चिकित्सा स्टाफ के जूते रोग वाहक के रूप में वायरस को अस्पताल तक ला सकते हैं। बहरहालए विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि ज्यादातर मामलों में जूते नोवेल कोरोनावायरस के संचरण के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।

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सेंट्रल एसी से भी वायरस का खतरा
एयरकंडीशनर से कोरोना के संक्रमण की पुष्टि करने के लिए दो अलग-अलग अध्ययन किए गए हैं। अध्ययनों से पता चला है कि कोविड-19 संक्रमण वेंटिलेशन, हीटिंग और एयर-कंडीशनिंग के जरिए भी फैल सकते हैं। अध्ययन के अनुसार, अधिकांश व्यक्ति अपने जीवन का 90 फीसदी समय कार, सार्वजनिक परिवहन और इमारतों जैसे घिरे या चारों ओर से बंद हुए वातावरण (इनबिल्ट एन्वायरमेंट) में रहते हैं, साझा अंदरूनी हवा में सांस लेते हैं और संभावित संक्रमित सतहों को छूते हैं। दरअसल एयरकंडीशन सिस्टम 5000 नैनोमीटर से छोटे कणों को फिल्टर नहीं कर सकते हैं। अगर नोवेल कोरोना वायरस भी सार्स कोरोना वायरस की ही तरह 120 नैनोमीटर व्यास का हुआ तो एयर कंडीशनिंग सिस्टम वायरस को हर केबिन में पहुंचा सकता है। एयर कंडीशनर हवा के जरिए संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट्स को वातावरण में फैला सकते हैं। वहीं कमरे में मौजूद लोग इस संक्रमित हवा में सांस लेने पर कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। हालांकि न्यू इंग्लैंड कॉलेज ऑफ ओस्टियोपैथिक मेडिसिन विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञानी प्रोफेसर मेघन मे का कहना है कि अधिकतर विशेषज्ञ इस आशंका को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं और फिजिकल डिस्टैंसिंग को अहमियत देने की पैरवी कर रहे हैं।

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होम एसी से खतरा कम
वहीं भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि घर में लगे एसी से कोरोना वायरस संक्रमण का जोखिम पैदा नहीं करते। खासकर ऐसे समय में जब लोग अपने घरों के अंदर बिना किसी बाहरी संपर्क के अलग-थलग पड़े हैं। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि कोरोनोवायरस उन जगहों के भीतर फैल सकता है जो सेंट्रल एयरकंडीशन लगे हैं जैसे शॉपिंग मॉल और कुछ आधुनिक अपार्टमेंट, खासकर अगर एक संक्रमित व्यक्ति अंदर मौजूद है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे के महामारी विज्ञानी सम्बुद्ध चौधरी कहते हैं कि यह वायरस हवा से नहीं फैलता इसलिए जैसे आम सर्दी और फ्लू का वायरस फैलता है। लेकिन यह वायरस हवा में चारों तरफ तैरता नहीं है बल्कि सतहों पर मौजूद रहता है और लंबे समय तक जिंदा रह सकता है। क्योंकि यह बहुत लंबे समय तक हवा में नहीं रहता इसलिए कम से कम घर के एयर कंडीशनर से संक्रमण का खतरा नहीं होना चाहिए।

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