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Dense Breasts : घने स्तनों वाली महिलाओं के लिए क्यों जरूरी हैं अतिरिक्त कैंसर स्कैन?

Dense Breast : अगर किसी महिला के स्तन बहुत घने हैं, तो सामान्य मैमोग्राम से कैंसर छिप सकता है। ऐसे में, कुछ खास और अतिरिक्त जांचें करवाने से समय पर बीमारी का पता चल पाएगा और कई महिलाओं की जान बच सकेगी।

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भारत

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Manoj Vashisth

May 22, 2025

Dense Breast

Dense Breast : घने स्तनों वाली महिलाओं के लिए क्यों जरूरी हैं अतिरिक्त कैंसर स्कैन? (फोटो सोर्स : Freepik)

Dense Breasts Cancer Risk : घने स्तनों वाली महिलाओं के लिए कैंसर (Breast Cancer) की अतिरिक्त जांचें हर साल सैकड़ों जानें बचा सकती हैं, एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

लाखों महिलाएँ स्तन कैंसर (Breast Cancer) की जांच (ब्रेस्ट स्क्रीनिंग) करवाती हैं, लेकिन जिन 10% महिलाओं के स्तन बहुत घने (Dense Breasts) होते हैं, उनमें नियमित मैमोग्राम कैंसर का पता लगाने में कम प्रभावी होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि घने स्तन एक्स-रे पर सफेद दिखते हैं, जिससे शुरुआती स्टेज के कैंसर को पहचानना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि कैंसर भी सफेद ही दिखता है।

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि इन महिलाओं को बेहतर जांचें देने से यूके में हर साल 3,500 से अधिक कैंसर के मामले मिल सकते हैं और 700 जानें बचाई जा सकती हैं। उनके निष्कर्ष 'द लैंसेट' पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

Dense Breasts : क्यों जरूरी हैं अतिरिक्त स्कैन?

आज करोड़ों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी करवा रही हैं। लेकिन शोध से पता चला है कि लगभग 10% महिलाओं के स्तन इतने घने (Dense Breasts) होते हैं कि साधारण मैमोग्राम उन पर कैंसर के शुरुआती लक्षण नहीं पहचान पाता। दरअसल, घने स्तनों की संरचना एक्स-रे में सफेद दिखाई देती है – और दुर्भाग्यवश, शुरुआती कैंसर भी सफेद होता है। इससे कैंसर छुप जाता है और समय रहते पकड़ में नहीं आता।

प्रोफेसर फियोना गिल्बर्ट, जो इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका हैं, कहती हैं, अगर हम कैंसर को शुरू में ही पकड़ लें, तो इलाज आसान होता है और बचने की संभावना कहीं अधिक रहती है। इसलिए अब समय आ गया है कि हम अपने राष्ट्रीय स्क्रीनिंग प्रोग्राम में बदलाव करें।"

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अध्ययन की प्रक्रिया और तकनीकें

यह अध्ययन 9,361 ऐसी महिलाओं पर किया गया जिनके स्तन घने (Dense Breasts) थे और जिनकी मैमोग्राफी रिपोर्ट सामान्य (नकारात्मक) आई थी। लेकिन जब इन्हें अतिरिक्त स्कैनिंग दी गई, तो उनमें से 85 महिलाओं में कैंसर पाया गया, जो पहले नहीं दिखा था।

तीन प्रकार की अतिरिक्त स्कैनिंग तकनीकों का परीक्षण किया गया:

कॉन्ट्रास्ट-एन्हांस्ड मैमोग्राफी (CEM) – इसमें एक विशेष डाई का उपयोग किया जाता है जिससे खून की नसें स्पष्ट दिखती हैं।

अब्रिविएटेड एमआरआई (Ab-MRI) – यह सामान्य एमआरआई से तेज और सरल प्रक्रिया है।

ऑटोमैटेड ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड (Abus) – यह तकनीक भी कारगर पाई गई, लेकिन बाकी दो की तुलना में कम प्रभावी रही।

CEM ने प्रति 1,000 महिलाओं में 19 कैंसर पहचाने, Ab-MRI ने 17 और Abus ने केवल 4। वहीं, पारंपरिक मैमोग्राम केवल 8 मामलों का पता लगा पाता है। इसका मतलब है कि ये अतिरिक्त स्कैनिंग ब्रेस्ट कैंसर के मामलों की पहचान को तीन गुना तक बढ़ा सकती है।

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संभावित लाभ और चुनौतियां

शोधकर्ताओं का मानना है कि इन तकनीकों के उपयोग से हर साल 3,500 अतिरिक्त कैंसर मामलों की पहचान हो सकती है और अनुमानित रूप से 700 जीवन बचाए जा सकते हैं।

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह देखना बाकी है कि इससे मृत्यु दर कितनी कम होती है और क्या यह लागत और संभावित ओवरडायग्नोसिस (अनावश्यक इलाज) के जोखिम को संतुलित करता है या नहीं।

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आगे की राह

Cancer Research UK और NHS पहले से ही इस विषय पर अधिक शोध कर रहे हैं। वहीं, UK National Screening Committee इस शोध को अपने वर्तमान मूल्यांकन में शामिल कर रहा है कि क्या घने स्तनों वाली महिलाओं को नियमित रूप से अतिरिक्त स्कैन दिए जाने चाहिए।

Breast Cancer Now की रिसर्च प्रमुख डॉ. कोट्राइना टेम्सिनेट कहती हैं, "हालांकि मौजूदा स्क्रीनिंग प्रक्रिया घने स्तनों में कम प्रभावी हो सकती है, लेकिन हम फिर भी सभी महिलाओं से आग्रह करते हैं कि वे अपनी नियमित मैमोग्राफी करवाएं।"

यह शोध न केवल ब्रिटेन, बल्कि दुनियाभर के उन देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां महिलाओं की ब्रेस्ट स्क्रीनिंग की जाती है। अगर इसे अपनाया गया, तो हजारों महिलाओं को समय पर इलाज मिल सकता है, जिससे उनके जीवन की रक्षा संभव होगी।