
Dipika Kakar Liver Cancer Robotic Surgery (फोटो सोर्स: ms.dipika@instagram)
Dipika Kakar Liver Cancer Robotic Surgery : छोटे पर्दे की जानी-मानी अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ (Dipika Kakar) ने हाल ही में अपने लिवर कैंसर से उबरने की यात्रा साझा की है। उन्होंने बताया कि उनकी स्टेज 2 लिवर कैंसर की रोबोटिक सर्जरी (Dipika Kakar Liver Cancer Robotic Surgery) हुई जिससे उन्हें तेजी से ठीक होने में मदद मिली है। उनके पति शोएब इब्राहिम ने भी इस बात की पुष्टि की कि दीपिका को बड़े चीरे की बजाय छह छोटे कट्स लगे जिससे रिकवरी आसान हुई। दीपिका ने यह भी साफ किया कि हालांकि रोबोटिक सर्जरी (Robotic Surgery) कुछ मामलों में बेहद फायदेमंद होती है, लेकिन यह हमेशा संभव नहीं होती और उनके डॉक्टरों के पास जरूरत पड़ने पर ओपन सर्जरी का बैकअप प्लान भी था।
यह खबर कई कैंसर रोगियों और उनके परिवारों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आई है। लेकिन क्या यह अत्याधुनिक तकनीक वाकई हर कैंसर रोगी के लिए इतनी ही कारगर है? आइए, इस विषय पर विशेषज्ञों की राय और कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों पर गौर करें।
दीपिका कक्कड़ की रिकवरी स्पीड और इसके पीछे पूरा क्रेडिट वो रोबोटिक सर्जरी को देती हैं। खुद दीपिका ने वीडियो में बोला, रोबोटिक सर्जरी की वजह से ही मैं इतनी झटपट ठीक हो गई। वरना ओपन सर्जरी में तो हफ्तों तक बिस्तर से हिल भी ना पाए। जब पहली बार डॉक्टर से मिलीं तो डॉक्टर ने सीधा कह दिया कि उनके केस में रोबोटिक सर्जरी ही सबसे बढ़िया रहेगा क्योंकि ट्यूमर अभी फैला नहीं था।
रोबोटिक सर्जरी (Robotic Cancer Surgery) एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है। यह पारंपरिक सर्जरी की तुलना में दर्द कम करती है, रक्तस्राव को घटाती है और संक्रमण की संभावना को न के बराबर कर देती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे रोगी जल्द ही अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट पाता है और अस्पताल में भी कम समय रहना पड़ता है।
रोबोटिक कैंसर सर्जरी (Robotic Surgery) में एक सर्जन रोबोटिक आर्म्स को नियंत्रित करता है, जिनमें छोटे सर्जिकल उपकरण और एक हाई-डेफिनिशन 3डी कैमरा लगा होता है। सर्जन एक कंसोल से इन उपकरणों को नियंत्रित करता है जिससे वास्तविक समय में हर गतिविधि को निर्देशित किया जाता है। सर्जन वहीं से रियल टाइम में हर मूवमेंट को अपने हिसाब से कंट्रोल करता है सारा एक्शन उसके इशारों पर चलता है। आमतौर पर रोबोटिक सेटअप में चार रोबोटिक आर्म्स होते हैं। एक कैमरे के लिए और तीन सर्जिकल उपकरणों के लिए। इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे उपकरण भी होते हैं जो शरीर के अंदर एक मार्ग बनाते हैं जिन्हें सर्जिकल सहायक संभालते हैं। यह सेटअप उपकरणों पर अधिक सटीक नियंत्रण और अधिक जटिल गतिविधियों को करने की अनुमति देता है। साथ ही सर्जन पारंपरिक न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी में केवल दो आर्म्स के विपरीत सीधे चार आर्म्स को नियंत्रित कर सकता है।
आपको बता दें कि इस सर्जरी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें डॉक्टर को चीजें बहुत साफ और बड़ी दिखती हैं और वह बहुत बारीकी से काम कर पाता है। सर्जन 3D यानी त्रिविमीय (तीन दिशाओं में) नजारे के साथ काम करते हैं और उनके हाथ में जो रोबोटिक औजार होते हैं वे कलाई की तरह घूमते हैं। इससे वे शरीर के अंदर बेहद अहम हिस्सों के आस-पास के टिश्यूज (ऊतकों) को बहुत सावधानी से संभाल पाते हैं।
यह उन जगहों पर खास तौर पर फायदेमंद होती है जहां सर्जरी करना मुश्किल होता है, जैसे पेल्विस (पेट के निचले हिस्से) में होने वाले कैंसर (जैसे प्रोस्टेट कैंसर, आंत के निचले हिस्से का कैंसर, खाने की नली का कैंसर)। कई बार इससे ऑपरेशन के नतीजे बेहतर आते हैं और यह भी बेहतर पता चल पाता है कि कैंसर कितनी स्टेज पर है।
कुछ रिसर्च बताती हैं कि प्रोस्टेट कैंसर में रोबोटिक सर्जरी से ट्यूमर को पूरी तरह से निकालने की संभावना बढ़ जाती है (जिसे कम सकारात्मक मार्जिन दर कहते हैं)। हालांकि कैंसर से लंबे समय तक जीवित रहने की दर में कोई खास बदलाव नहीं आता। यह सर्जरी महिलाओं के अंगों से जुड़े कैंसर (स्त्री रोग संबंधी कैंसर) और पेट व आंत से जुड़े कैंसर (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर) में भी अच्छी मानी जाती है।
यह बहुत जरूरी सवाल है। डॉक्टर कहते हैं कि रोबोटिक सर्जरी हर कैंसर मरीज के लिए सही हो ऐसा जरूरी नहीं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस तरह का है वह किस स्टेज पर है शरीर में कहां है और मरीज की सेहत कैसी है। अगर कैंसर बहुत ज़्यादा फैल चुका है (यानी एडवांस्ड स्टेज में है) तो आमतौर पर यह सर्जरी करवाने की सलाह नहीं दी जाती।
Published on:
02 Jul 2025 11:19 am
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