scriptकितना जानते हैं आप डिप्रेशन के बारे में? उदासी और एंग्ज़ायटी से कैसे अलग है? इन तरीकों से रखें खुद को डिप्रेशन से दूर | Do You Really Know About Depression? Is It Alienated from Anxiety | Patrika News

कितना जानते हैं आप डिप्रेशन के बारे में? उदासी और एंग्ज़ायटी से कैसे अलग है? इन तरीकों से रखें खुद को डिप्रेशन से दूर

locationजयपुरPublished: Jun 17, 2020 03:50:34 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

बीते रविवार को फिल्म अदाकार सुशांत सिंह राजपूत ने 6 महीने डिप्रेशन से संघर्ष करने के बाद आखिर हार मान ली और जिंदगी को छोड़ मौत को गले लगा लिया। 34 साल के इस अदाकार की आत्महत्या ने एक बार फिर बहस तेज कर दी है कि क्या हम वास्तव में डिप्रेशन को गंभाीरता से लेते हैं या अब भी इसे ‘साइलेंट किलर’ मानने में हमें ऐतराज है?

कितना जानते हैं आप डिप्रेशन के बारे में? उदासी और एंग्ज़ायटी से कैसे अलग है? इन तरीकों से रखें खुद को डिप्रेशन से दूर

कितना जानते हैं आप डिप्रेशन के बारे में? उदासी और एंग्ज़ायटी से कैसे अलग है? इन तरीकों से रखें खुद को डिप्रेशन से दूर

कोरोना वायरस (Corona Pandemic) ने बीते चार महीनों में ही लोगों की शारीरिक गतिविधियों, दिनचर्या और सामाजिक व्यवहार को बदल कर रख दिया है। ब्रिटेन की बाथ यूनिवर्सिटी (Bath University) में बच्चों और नौजवानों की मानसिक सेहत पर अकेलेपन के असर के बारे में एक अध्ययन किया गया जिसका निष्कर्ष था कि लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान युवाओं में डिप्रेशन का खतरा पहले की तुलना में तीन गुना बढ़ गया है और अकेलेकपन का यह प्रभाव और डिप्रेशन का असर कम-से-कम नौ साल तक रह सकता है। लॉकडाउन में डिप्रेशन (Depression) बेहद आम मानसिक परेशानी हैं लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
कितना जानते हैं आप डिप्रेशन के बारे में? उदासी और एंग्ज़ायटी से कैसे अलग है? इन तरीकों से रखें खुद को डिप्रेशन से दूर
मेंटल हैल्थ को गंभीरता से लें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) का कहना है कि डिप्रेशन एक खतरनाक बीमारी बनती जा रही है। आज दुनियाभर के विभिन्न देशों में अलग-अलग आयु वर्ग के 26 करोड़ से ज़्यादा लोग डिप्रेशन का शिकार हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि यह तो सिर्फ सीमित दायरे में किए गए शोध के नतीजे हैं जबकि वास्तविकता इससे कहीं भयावह हो सकती है। अक्सर लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं होती कि वे किसी तरह के डिप्रेशन (अवसाद) से गुजर रहे हैं। हाल के कुछ वर्षों में डिप्रेशन के चलते किशोरवय उम्र से लेकर युवाओं की आत्महत्या में उछाल आया है। वार्निक (Värnik) संस्था का दावा है कि भारत की समायोजित वार्षिक आत्महत्या दर प्रति 1लाख पर 10.5 है, जबकि पूरे विश्व में आत्महत्या की दर प्रति 1 लाख पर 11.6 है। लेकिन अक्सर लोग उदासी और एंग्जायटी को डिप्रेशन समझ लेते हैं जबकि इनमें काफी अंतर होता है। वहीं डिप्रेशन शब्द को हल्के में लेने की गलती तो हम सभी करते हैं।
कितना जानते हैं आप डिप्रेशन के बारे में? उदासी और एंग्ज़ायटी से कैसे अलग है? इन तरीकों से रखें खुद को डिप्रेशन से दूर
डिप्रेशन को समझना है जरूरी
जिंदगी में ऐसे बहुत से क्षण आते हैं जब हम वांक्षित सफलता हासिल नहीं कर पाते, ऐसा होने पर हम उदास और हताश हो जाते हैं। लोग इसी हताशा और उदासी को डिप्रेशन समझ लेते हैं। लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि यह डिप्रेशन नहीं है बल्कि किसी अनजाने डर, बुरे हालातों या रिश्तों ओर जॉब में आ रही परेशानियों से उपजी उदासी या चिंता भी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की हैल्थ विंग का कहना है कि डिप्रेशन या अवसाद एक आम लेकिन तेजी से फैलती मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारी है। चिकित्सकों का कहना है कि सरल शब्दों में डिप्रेशन आमतौर पर हमारे मूड में आने वाले उतार-चढ़ाव और अस्थायी समय के लिए मस्तिष्क में होने वाली भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से अलग होती है। डिप्रेशन के लक्षणों में लगातार उदास रहना, लोगों से दूरी बना लेना, सामाजिक गतिविधियों से खुद को अलग कर लेना, निराशाजनक बातें करना और जीवन में रुचि कम होना अवसाद केआम लक्षण हैं।
कितना जानते हैं आप डिप्रेशन के बारे में? उदासी और एंग्ज़ायटी से कैसे अलग है? इन तरीकों से रखें खुद को डिप्रेशन से दूर
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है डिप्रेशन
डब्लूचओ के अनुसार एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorder) आमतौर पर डर और घबराहट के लक्षण वाली एक मानसिक बीमारी है। इसके अलग-अलग स्तर और स्वरूप हो सकते हैं। डिप्रेशन के शिकार कई लोगों में एंग्ज़ाइटी के लक्षण भी होते हैं। अक्सर किसी नजदीकी सगे-संबंधी, दोस्त या पसंदीदा सोशल पर्सनैलिटी की मौत की खबर सुनकर कुछ लोग उदास हो जाते हैं, यह उदासी कुछ घंटो दिनों तक भी बनी रह सकती है लेकिन फिर सभी सामान्य जिंदगी में लौट आते हैं। लेकिन इसे डिप्रेशन नहीं कह सकते। घबराहट, असहाय महसूस करना और बेचारगी का भाव एंग्जायटी हो सकता है। लेकिन जब यह भावना एक सीमा से गुजर जाती है और हम जीवन में कुछ भी अच्छा होने की उम्मीद खो देते हैं तो यह स्थिति डिप्रेशन कहलाती है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि जिसे एंग्जायटी हो उसे डिप्रेशन भी हो या डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को एंग्ज़ाइटी भी हो।
कितना जानते हैं आप डिप्रेशन के बारे में? उदासी और एंग्ज़ायटी से कैसे अलग है? इन तरीकों से रखें खुद को डिप्रेशन से दूर
ऐसे सुधारें अपनी बिगड़ी मनोदशा
अवसाद के शिकार लोगों को सैशन-दर-सैशन मनोचिकित्सक काउंसिल करते हैं। उन्हें ऐसे कामों को करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जिसे करने में उन्हें आनंद की अनुभूति होती हो। अपनी मर्जी का काम करने और शौक को पूरा करने से मानसिक स्वास्थ्य में गजब का सुधार देखने को मिला है। ऐसे लोगों को अपना ध्यान दूसरी गतिविधियों पर लगाना चाहिए। सबसे ज्यादा क्रिएटिव एक्टिविटी ही सुधार लाने में मदद करती हैं। ऐसी गतिविधियों का मकसद सिर्फ परेशान करने वाली बातों से ध्यान बंटाना होता है। सकारात्मक प्रभाव डालने वाली गतिविधियां व्यक्ति को नैराश्य से उभरने में मदद करती हें। लेकिन पॉजिटिविटी को सिर्फ जीवंत स्वरूप में ही नहीं देखना चाहिए।
sushant_singh_rajput_1.jpg
अपनी सीमाओं के आगे निकलकर वो काम करने की हिम्मत जुटाना जो अब तक हमारे लिए असंभव था वह भी एक सकारात्मक कदम है। लेकिन सबसे ज्यादा जयरी है कि हमें मालूम हो कि हम डिप्रेशन के दौर से गुजर रहे हैं। इसलिए ऐसे लोगों के बीच रहें जो आपका खयाल रखते हों जिन्हें आपकी फिक्र हों और जो लगातार आपको हिम्मत बढ़ाने का काम करते हैं। ऐसे लोगों को अवसाद से उबरने में ज्यादा आसानी होती है और जिंदगी के पटरी पर लौटने के लिए ऐसे लोगों की मदद बेहद जरूरी है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो