स्वास्थ्य

सुबह खाली पेट पानी ही पीएं, चाय-कॉफी से करें परहेज, नहीं हो सकते हैं ये गंभीर परिनाम

शरीर का निर्माण पंच महाभूतों से हुआ है। इसमें जल सबसे मुख्य है। पृथ्वी की तरह ही हमारे शरीर में दो तिहाई हिस्सा जल का होता है। जल में दो शब्द हैं। ज और ल। ज से जन्म और ल से लय होता है। अर्थात जन्म से मृत्यु तक जिससे संबंध है वह जल है। जल के बारे में हमारे आचार्यों ने बहुत विस्तार से लिखा है।    

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Oct 12, 2023
Drink water in the morning

शरीर का निर्माण पंच महाभूतों से हुआ है। इसमें जल सबसे मुख्य है। पृथ्वी की तरह ही हमारे शरीर में दो तिहाई हिस्सा जल का होता है। जल में दो शब्द हैं। ज और ल। ज से जन्म और ल से लय होता है। अर्थात जन्म से मृत्यु तक जिससे संबंध है वह जल है। जल के बारे में हमारे आचार्यों ने बहुत विस्तार से लिखा है।

खाली पेट पानी से ब्लड सामान्य रहता है
अमरीका की लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी में सुबह खाली पेट पानी पीने के फायदे को लेकर शोध किया गया था। इसमें कुछ लोगों को पानी और कुछ लोगों को कैफीन व काब्र्स वाले (चाय, कॉफी और सॉफ्ट्र) ड्रिंक्स पिलाए गए थे। तीन माह बाद इनका अध्ययन किया गया था। इसमें पाया गया कि कैफीन-काब्र्स पेय लेने वालों का ब्लड गाढ़ा होने लगा था। हृदय रोगों का जोखिम बढऩे लगा था जबकि पानी पीने वाले सामान्य थे।

जलपान यानी ब्रेक फास्ट का सही तरीका
शरीर में जितने भी हार्मोन्स व एजाइम्स होते हैं, उनका मूल आधार तत्त्व जल है। अपने चिकित्सा शास्त्रों में सुबह उठने के बाद जलपान की बात कही गई है। जब हम रात में सो रहे होते हैं तो उपवास होता है। सुबह फास्ट को ब्रेक करते हैं। ब्रेक फास्ट को अपने यहां जलपान कहा गया है। इसका अर्थ है कि बिना कुछ खाए-पीएं, खाली पेट पानी पीएं न कि समोसा-कचौरीपान आदि खाएं। चाय-कॉफी पीना है तो कुछ खाने के बाद ही पीएं।

कम पानी पीने से नुकसान
पानी की कमी से कब्ज सबसे पहले होता है। आयुर्वेद के अनुसार कब्ज सभी रोगों का जड़ है। पानी की कमी से यूरिन में जलन, यूटीआइ का संक्रमण, सांसों में बदबू, त्वचा में समस्या आदि। शरीर में चार प्रमुख तंत्र हैं जो शरीर की सफाई करते हैं। सफाई का काम जल ही करता है। पाखाना, पेशाब, पसीना और प्रश्वास। इनसे शरीर के विकार बाहर निकलते हैं। पानी शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करता है। सर्दी के मौसम में दो लीटर जबकि गर्मी में ढाई-तीन लीटर तक पानी जरूर पीते हैं।

जल चिकित्सा के रूप
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार जल चिकित्सा 108 तरीके से की जाती है। इसमें स्टीम, यौगिक हाइड्रोथैरेपी, कुंजल क्रिया, सोना बाथ, जलनेति आदि। कुंजल क्रिया तो हाथियों को देखकर शुरू किया गया था। यह आंतों की पूरी से सफाई करता है। वहीं जलनेति मेंटल हैल्थ से लेकर साइनस और ब्रोंकाइटिस में भी राहत दिलाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी आइस थैरेपी को कारगर मानता है।


मानसिक सेहत व खुशियों से जुड़ा है जल

ताजगी का प्रमुख स्रोत जल है। इसलिए कहीं जाने से पहले और आने के बाद पानी पिलाने की परंपरा है। परीक्षा देने जाते समय पानी पिलाकर भेजते हैं। इससे याद्दाश्त बेहतर होती है। मानसिक सेहत ठीक रहती है। डिहाइड्रेशन में पहले असर दिमाग पर ही पड़ता है। इससे घबराहट, चिड़चिड़ापन और शरीर में अकडऩ-जकडऩ बढ़ती है। इसलिए हर उम्र में पर्याप्त पानी पीना जरूरी है।

Updated on:
12 Oct 2023 01:33 pm
Published on:
12 Oct 2023 01:31 pm
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