
paneer benifits (image- gemini AI)
Paneer Side Effects : आजकल जिस तरीके से पश्चिमी संस्कृति अपनी पकड़ बना रही है, उसमें पनीर हमारे खाने का वह स्वाद बन चुका है जो हमें हर डाइट में चाहिए। सैंडविच, पिज्जा, पोहे, मैगी हो या ब्रेड, जब तक चीज स्लाइस नहीं डाली जाती, हम उसे खाना पसंद ही नहीं करते।
जापान में हुई एक स्टडी के अनुसार, यदि आप सप्ताह में एक बार पनीर खाते हैं, तो यह आपके दिमाग की सेहत के लिए अच्छा हो सकता है। इस स्टडी में देखा गया कि जिन लोगों ने सप्ताह में कम से कम एक बार पनीर खाया, उनमें पनीर नहीं खाने वालों की तुलना में डिमेंशिया का खतरा कम था। यानी सप्ताह में कम से कम एक बार पनीर खाना आपके दिमाग की सेहत के लिए अच्छा होता है। वहीं, अगर अधिक पनीर का सेवन करते हैं तो इसके नुकसान देखने को मिल सकते हैं।
अध्ययन के आधार पर यह देखा गया कि जिन लोगों ने सप्ताह में सिर्फ एक बार पनीर खाया, उनमें डिमेंशिया के खतरे में 24 प्रतिशत की कमी देखी गई। इससे यह बात तो साफ है कि पनीर खाने की आदत सीधे तौर पर हमारी भूलने की बीमारी से जुड़ी हुई है।
पनीर में प्रोटीन, आवश्यक फैट और विटामिन K2 पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। ये हमारी रक्त वाहिकाओं को मजबूती देने और स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। रक्त वाहिकाएं हेल्दी रहेंगी, तो हमारे दिमाग तक रक्त और ऑक्सीजन ठीक से पहुंचेगा। दिमाग का काम स्वस्थ नसों पर निर्भर है, इसलिए पनीर दिमागी बीमारियों के खतरे को कम करने में सहायता करता है।
पनीर में उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, आवश्यक फैटी एसिड और विटामिन K2 होते हैं, जो हमारे तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। इससे मस्तिष्क बहुत अच्छे तरीके से अपना काम करता है।
पनीर हमारे गट (आंत) के लिए अच्छे बैक्टीरिया का निर्माण करता है और इससे आंतों में आए भोजन का पाचन सही से होता है। इसलिए सीमित मात्रा में, यानी हफ्ते में एक बार पनीर खाना आपकी गट हेल्थ के लिए बहुत अच्छा माना गया है।
सप्ताह में एक बार और वह भी सीमित मात्रा में, पनीर हमारे लिए संतुलित आहार का काम करता है। पनीर में ऐसे तत्व होते हैं कि जब इसे फल, सब्जियों, साबुत अनाज और नट्स के साथ मिलाया जाता है, तो यह मस्तिष्क के लिए रामबाण औषधि का काम करता है। लेकिन एक ध्यान देने योग्य बात यह है कि पनीर में कोलेस्ट्रॉल बहुत ज्यादा होता है। जब आप सीमित मात्रा से ज्यादा पनीर खाते हैं, तो वैस्कुलर डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Published on:
27 Dec 2025 04:46 pm
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