बिना डॉक्टरी सलाह के कान में कुछ न डालें, इससे संक्रमण की आशंका बढ़ती है ।
जयपुर•Aug 24, 2020 / 04:39 pm•
विकास गुप्ता
Ear problems also occur due to these reasons.
हमारा कान मुख्य रूप से तीन भागों से मिलकर बना होता है। पहला, बाहरी हिस्सा है जिसमें पिन्ना व कैनाल आते हैं। दूसरे हिस्से में कान के पर्दे के पीछे स्थित तीन सूक्ष्म हड्डियां होती हैं। इसमें मेलियस, इंकस, स्टेपिस के अलावा यूस्टेशियन ट्यूब होती है। तीसरे (आंतरिक) भाग लेबिरिन्थ में कैनाल व सूक्ष्म संरचना होती है। इस संरचना यानी ट्यूब के बंद होने से कान बहने जैसी समस्या सामने आती है।
20% मामलों में सड़क हादसे व तेज आवाज से सुनने की क्षमता पर असर होता है। सीटी स्कैन व एक्सरे से कान की मांसपेशियों की जांच करते हैं। हियरिंग टैस्ट के तहत टिम्पैनोग्राम या ऑडियोमेट्री करते हैं। कान बहने के दौरान सिर्फ रक्त व पस या दोनों का एकसाथ आना, पारदर्शी पदार्थ या तरल निकलने पर तय होता है इलाज।
प्रमुख कारण – सर्दी, खिचखिच या गले में दिक्कत यदि एक हफ्ते से ज्यादा है तो कान को नुकसान हो सकता है। ऐसा नाक के पिछले व गले के ऊपरी भाग में मौजूद यूस्टेशियन ट्यूब में संक्रमण के कारण आई सूजन के बने रहने से पर्दे में छेद से होता है जिससे कान बहने लगता है। २० प्रतिशत मामलों में सड़क हादसे या किसी अन्य तरह से कान पर या आसपास चोट लगने व अचानक तेज आवाज से सुनने में मददगार हड्डियों में चोट लग जाती है। जिससे सुनाई देना कम हो जाता है व मवाद आने लगती है।
ध्यान दें –
कई बार कुछ लोगों को कान से सनसनाहट या घंटी बजने की आवाज आने की समस्या होती है। इसे मेडिकल की भाषा में रिंगिग व बजिंग कहते हैं। ऐसा लंबे समय से हो तो कान के पर्दे में छोटा छेद हो सकता है जिसे स्मॉल सेंट्रल परफोरेशन कहते हैं। इन लक्षणों का इलाज जरूरी है। नाक की हड्डी टेढ़ी होने से भी कान संबंधी परेशानी होती है।
लक्षण –
कान बहने के साथ बुखार, चिड़चिड़ाहट और बेचैनी।
गंभीर अवस्था में कान में अचानक दर्द व भारीपन महसूस होना। ऐसे में कान बहना पहले शुरू होता है व दर्द बाद में होता है।
कान लगातार बहता है तो सुनाई कम देता है। यह समस्या कान में अंदर तक होने से बदबू आने के साथ कई बार खून भी आ सकता है।
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