एंडोक्राइन सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, रात में खाना वजन बढ़ाने और उच्च रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है, भले ही यह रोज खाया जानेवालासामान्यभोजन ही क्यों न हो। अध्ययन के लेखक और जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. जोनाथन सी. जुन का कहना है कि देर से खाना मोटापे से जुड़ा हुआ है। जुन ने बताया कि उनकी शोध टीम यह समझना चाहती थी कि क्या देर से खाना वास्तव में चयापचय को बदल देता है जो अंतत: मोटापे को बढ़ावा देता है।
जून और उनकी टीम ने 20 स्वस्थ्य वॉलंटीयर्स (10 महिलाएं और 10 पुरुष शामिल) को अध्ययन में शामिल किया। ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्होंने शाम 6बजे की बजाय रात 10 बजे भोजन किया तो उनके शरीर पर इसका क्या प्रभाव पड़ा। रात 10 बजे भोजन करने के बाद सभी प्रतिभागी एक ही समय 11 बजे सो गए। अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला कि उनके रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक था और देर रात रोज का सामान्य खाना खाने पर भी शरीर में वसा की मात्रा कम हो जाती है। अन्य शोधकर्ताओं ने इसी तरह का काम सर्कैडियन लय और आहार को देखते हुए किया है। शोध मेंसामने आया है कि यदि आप अपने शरीर की सामान्य सर्कैडियन लय के बाहर खाते हैंए तो आप ग्लूकोज को उसी तरह से मेटाबोलाइज नहीं करते हैं। अध्ययन से जुड़े जॉनसन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के पीएचडी शोधकर्ता और अध्ययन के प्रमुख लेखक चेनजुआन गुए ने कहा कि स्वस्थ स्वयंसेवकों में हमने जो प्रभाव देखे हैं वे मोटापे या मधुमेह वाले लोगों में अधिक स्पष्ट हो सकते हैं।
इस अध्ययन की सबसे दिलचस्प बात यह है कि शोधकर्ताओं ने पाया कि हर कोई एक ही तरह से देर से भोजन करने पर प्रतिक्रिया नहीं करता है। अध्ययन में शामिल जिन लोगों को जल्दी सोने की आदत थी उनमें देर से खाना खाने की आदत ने अलग प्रतिक्रिया दिखाई। ऐसे लोगों को देर से खाना खिलाने पर शरीर पर उसके प्रतिकूल परिणाम नजर आए। वहीं जो लोगदेर रात 2 से 3बजे तक जगने और भूख लगने पर खा रहे थे उनके भोजन में परिवर्तन करने पर भी कोई ख़ास असर नजर नहीं आए। इससे यह स्पष्ट हो गया कि हर एक व्यक्ति के चयापचय में ऐसे अंतर हैं जो या तो उन्हें देर से खाने के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं या इसका उनपर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। जुन ने बताया कि यह अध्ययन इस विषय पर पिछले शोध की तुलना में बहुत अधिक विस्तृत था। प्रतिभागियों ने गतिविधि ट्रैकर्स पहनी थी, उनके रक्त का नमूना लिया भी लिया गया था, उनके नींद लेने के पैटर्न की भी स्टडी की गई थी। साथ ही शरीर में वसा को भी स्कैन किया गया था। यह अध्ययन बताता है कि यह कतई जरूरी नहीं है कि आप जो खाते हैं वह वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है। हालांकि इससे यह जरूर स्पष्ट होता है कि समय पर भोजन करना आपके शरीर की कैलोरी को प्रभावित करता है। यह अध्ययन बताता है कि खाने की आदतों जैसे कि भोजन सामग्री और मात्रा ही नहीं बल्कि भोजन का समय भी मधुमेह और हृदय रोग जैसे क्रॉनिकल रोगों के जोखिम को कम कर सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि रात का भोजन कैलोरी के लिहाज से अधिकांश वयस्कों के लिए दिनभर का सबसे महत्त्वपूर्ण भोजन है। शोध के अनुसार व्यस्त लोग आमतौर पर नाश्ते और दोपहर के भोजन समय पर या बिल्कुल नहीं कर पाते। जिसका अर्थ है कि उन्हें बाद में खाने की जरुरत पड़ती है। यही वजह है कि लोग रात को श्रारपेट भोजन करते हैं और यही गलती उनके लिए ग्लूकोज या वसा चयापचय के साथ कुछ कठिनाइयों का कारण बनता है, यहां तक कि स्वस्थ एवं स्थिर वजन वाले युवा व्यक्तियों में भी। इसके लिए कुछ उपाय कर सकते हें। जैसे अगर आप अक्सर ऑफिस से देर शाम या रात तक लौटते हें तो लंच में या शाम को स्नैक्स की बताय ग्रीक योगर्ट जैसे छोटे लेकिन उच्च प्रोटीन स्नैक लेें। रात को भूख से कम खाएं। ताकि अगर रात को खाना पड़े तो यह नाश्ते के बराबर ही हो। इसके अलावा अन्य विकल्पों में ग्रिल्ड चिकन, आधा सैंडविच और फल या एक कप वेजीटेबल सूप और एक गिलास लो फैट मिल्क के साथ एक छोटा सलाद हो सकता है।