
रंग निखारने के लिए नेचुरल चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि ये कभी नुकसान नहीं पहुंचाते।
रंग निखारने के लिए नेचुरल चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि ये कभी नुकसान नहीं पहुंचाते।
स्किन को ऐसे करती प्रभावित
१. स्टेरॉयड व हाइट्रोक्विनॉन त्वचा को पहुंचाते नुकसान
हर व्यक्ति की त्वचा अलग होती है जैसे तैलीय, रूखी और शुष्क। ऐसे में बिना डॉक्टर की सलाह से क्रीम का प्रयोग त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। फेयरनेस, ब्यूटी व वाइटनिंग क्रीम के निर्माण में अक्सर स्टेरॉयड, ब्लीचिंग एजेंट्स, हाइड्रोक्विनॉन व मर्करी जैसे केमिकल इस्तेमाल होते हैं जिसे लगाने के बाद त्वचा का रंग साफ होने से व्यक्ति गोरा दिखता है। हालांकि स्टेरॉयड चमड़ी को पतला करने व अनचाहे बालों के उगने और हाड्रोक्विनॉन त्वचा में जमकर दाग-धब्बे को बढ़ाते हैं।
२. त्वचा पर धब्बे व निशान छोड़ती क्रीम
विभिन्न तरह की फेयरनेस और वाइटनिंग क्रीम का लंबे समय तक इस्तेमाल त्वचा को पतला करने के साथ बदरंग कर देता है। इस कारण त्वचा पर धब्बे, निशान हो जाते हैं और त्वचा लाल हो जाती है जिससे खुजली और फोड़े-फुंसी की दिक्कत होती है। इसके अलावा त्वचा पर अनचाहे बालों के उगने की समस्या आम हो जाती है।
सावधानी: ये ४ बातें रखें ध्यान
यदि क्रीम का प्रयोग करना चाह रही हैं तो डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह लें। वे परेशानी की वजह जैसे हार्मोनल बदलाव, दवा का दुष्प्रभाव, एलर्जी आदि को जानकर क्रीम, मॉइश्चराइजर या सनस्क्रीन लोशन लगाने की सलाह देते हैं।
किसी भी क्रीम को शुरुआत में कम मात्रा में हथेली के पीछे त्वचा पर ५-१० मिनट के लिए लगाएं। इससे यदि त्वचा के लाल होने, खुजली की समस्या हो तो समझें कि क्रीम सही नहीं है। अगर परेशानी न हो तो धीरे-धीरे प्रयोग बढ़ाएं। सोने से पहले चेहरे को अच्छे से धोकर सोएं ताकि रोमछिद्र बंद न हों। सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाव के लिए सनस्क्रीन लोशन का प्रयोग करें। हो सके तो इसके बजाय चेहरे को ढककर ही धूप में बाहर निकलें।
त्वचा के अनुसार हो सही क्रीम का चयन
त्वचा के ऑयली या रूखी होने के आधार पर विशेषज्ञ सही क्रीम लगाने की सलाह देते हैं। प्रोफेशन या त्वचा की जरूरत फेयरनेस क्रीम लगाने की है तो लगा सकते हैं। लेकिन दुष्प्रभाव होने पर इसे एकदम से बंद न करके धीरे-धीरे करें। मार्केट में बिना स्टेरॉयड व हाइड्रोक्विनॉन केमिकल वाली क्रीम उपलब्ध हैं। इनमें मौजूद अन्य केमिकल जैसे कोजिक एसिड, आरबीटिन, बीटा वाइट आदि से नुकसान कम होता है।

Published on:
29 Aug 2017 07:28 pm
बड़ी खबरें
View Allस्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
