व्यायाम से होने वाले असर की नकल
अध्ययन के वरिष्ठ लेखक यू-हुआ त्सेंग का कहना है कि शरीर में अतिरिक्त वसा के लिए जिम्मेदार इन व्हाइट सैल्स को अनुवांशिक रूप से बदल दिया गया है। अब आसानी से पिघल जाने वाली ब्राउन फैट सैल्स में बदलने की इनकी क्षमता को बढ़ा दिया गया है। ये नई जीन-संपादन तकनीक व्यायाम करने के दौरान शरीर पर पडऩे वाले असर की नकल करती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस फैट के नैनो पार्टिकल्स (Nano Particals) को इंजेक्शन के जरिए सीधे शरीर में जमी हुई व्हाइट फैट सैल्स और जीन थेरेपी में शामिल करते हैं जो वसा को तुरंत ब्राउन सैल्स में बदलने की प्रक्रिया शुरू कर देती है।
पूर्व में भी हो चुके व्हाइट सैल्स पर शोध
इस तकनीक के सबसे दिलचस्प उदाहरणों में से एक है 2018 का वह अध्ययन जिसमें कोलंबिया विश्वविद्यालय (Colambia University) की एक टीम ने क्लिनिकल परीक्षण के दौरान दिखाया कि कैसे शरीर से इन सफेद वसा कोशिकाओं को हटाया जा सकता है और ये आसानी से शरीर की अतिरिक्त चर्बी को दूर करने के लिए ब्राउन फैट सैल्स में बदल सकती है। जोसलिन डायबिटीज सेंटर (Joslin Diabetes Center) के वैज्ञानिकों ने इस नए शोध में जीन-एडिटिंग की अत्याधुनिक तकनीक ‘क्रिस्पर’ (CRISPR) की भी मदद ली है ताकि वे व्हाइट सैल्स के प्रारंभिक विकास चरण में ही कोशिकाओं में बदलाव कर सकें। अनुसंधान के दौरान इन सफेद वसा कोशिकाओं को उनके शुरुआती काल में ही बदल दिया गया था और जीन-एडिटिंग टूल क्रिस्पर की मदद से वैज्ञानिकों ने सेल में मौजूद यूसीपी1 (UCP1) की सक्रियता को बढ़ाने के लिए किया था। टीम ने इस प्रभाव को ‘हम्बल सेल्स’ (HUMBLE cells, human brown-like) वसा कोशिकाएं कहते हैं।
कई रोगों का निदान होगा संभव
यू-हुआ त्सेंग का कहना है कि यह तकनीक भले ही मोटापे के इलाज के लिए एक आशाजनक तकनीक साबित हो सकती है लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए जोखिम दूसरे जानलेवा रोगों के लिए भी कारगर विकल्प बन सकती है। इसमें टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetese) के इलाज की भी क्षमता है जिसका मुख्य कारण मोटापा ही है। टीम ने प्रयोग में पाया कि यह तकनीक टाइप 2 मधुमेह से वाले रक्त से ग्लूकोज साफ करने की क्षमता में भी वृद्धि करती है। अब टीम इस नई चिकित्सा को इलाज में व्यवहारिक रूपसे उपयोग में लाने पर काम कररहे हैं।