कैसे काम करती है ये दवा?
पैंक्रियास हमारे शरीर में एक ग्रंथि होती है जो इंसुलिन नाम का हॉर्मोन बनाती है. ये हॉर्मोन हमारे शरीर को खाने से मिलने वाली शुगर को इस्तेमाल करने में मदद करता है. जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनता है तो खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे हम डायबिटीज कहते हैं. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के वैज्ञानिकों ने पाया है कि जो दवा पैंक्रियाटिक कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होती है वो डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है. ये दवा शरीर में एक खास एंजाइम को कम करती है. इस एंजाइम को कम करने से पैंक्रियास में एक खास तरह की कोशिकाएं बनने लगती हैं जो खाने को पचाने वाले एंजाइम और इंसुलिन दोनों को ही बनाती हैं.
अभी और रिसर्च जरूरी
अभी तक ये रिसर्च सिर्फ चूहों और एक गैर-मानव प्राइमेट पर ही किया गया है. इंसानों पर ये दवा कितनी कारगर होगी, ये पता लगाने के लिए और रिसर्च की जरूरत है. लेकिन शुरुआती नतीजे काफी उत्साहित करने वाले हैं. डायबिटीज के मरीजों के लिए ये एक बड़ी उम्मीद हो सकती है. अगर ये दवा इंसानों पर भी कारगर साबित होती है तो भविष्य में डायबिटीज के मरीजों को रोज़ इंसुलिन लेने की जरूरत ना पड़े.