scriptकोरोना अपडेट: महामारी से युवा सबसे अधिक प्रभावित, अवसाद और चिंता महिलाओं में ज़्यादा | Half Of Global Youth Population Subject To Depression Due To COVID-19 | Patrika News

कोरोना अपडेट: महामारी से युवा सबसे अधिक प्रभावित, अवसाद और चिंता महिलाओं में ज़्यादा

locationजयपुरPublished: Aug 18, 2020 07:54:33 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

यूएन के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा कि यह महामारी युवा लोगों के जीवन के हर पहलू पर असर डाल रही है। यह न केवल उनकी नौकरियों और रोजगार की संभावनाओं को नष्ट कर रही है, बल्कि उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण को भी बाधित कर रहा है।

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कोरोना वायरस कोविड-19 संक्रमण (COVID-19) हमारे मानसिक स्वास्थ्य (MENTAL HEALTH) को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। यही वजह है कि कोरोना वायरस के कारण जीवनशैली (LIFE STYLE) में आए बदलाव के कारण दुनिया भर में युवाओं में अवसाद बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र (UNITED NATIONS) की एक एजेंसी इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (International Labor Organisation) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, इस समय दुनिया के प्रत्येक दो में से एक युवा में अवसाद या चिंता के लक्षण नजर आ रहे हैं। ‘युवा और कोविड-19: नौकरियां, शिक्षा, अधिकार और मानसिक कल्याण’ पर पडऩे वाले राष्ट्र संघ के सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि एक तिहाई से अधिक युवा महामारी के कारण अपने करियर को लेकर अनिश्चितता का माहौल है।
कोरोना अपडेट: महामारी से युवा सबसे अधिक प्रभावित, अवसाद और चिंता महिलाओं में ज़्यादा

जिंदगी के हर पहलू पर असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी ने हमारे जीवन के हर पहलू को बाधित किया है। रिपोर्ट में आगे यह भी कहा गया है कि महामारी का प्रभाव युवा लोगों पर बहुत अधिक देखने को मिल रहा है। ऐसे में युवाओं का सामाजिक और आर्थिक एकीकरण एक सतत चुनौती बन गई है। ऐसे में कोरोना से पूरी तरह छुटकारा पाने तक युवाओं को महामारी से गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले प्रभावों का शिकार होने की संभावना है।

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नौकरी खो चुके लोगों पर असर ज्यादा
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जिन लोगों ने कोरोना काल से पहले अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली थी और अब वे नौकरी की उम्मीद लगा रहे थे उन्हें कोरोनपा संक्रमण से बदले जीवन में ज्यादा मानसिक आघात लगा है। कमोबेश ऐसा ही हाल उन लोगों का भी है जिनकी कोरोना काल में कोस्ट कटिंग या काम-धंधा ठपहा जाने से नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। यूएन ने अपने इस शोध में 18 से 29 वर्ष की आयु के लोगों को शामिल किया था। अध्ययनकर्ताओं ने प्रतिभागियों से उनके रोजगार, शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, अधिकारों और सामाजिक सक्रियता की संभावनाओं के बारे में सवाल पूछे थे। इसका उद्देश्य उनके जीवन पर महामारी के तत्काल प्रभाव के बारे में जानना था।

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50% ने अवसाद में होना स्वीकारा
यूनाइटेड नेशंस की ओर से दुनिया के 112 देशों से प्राप्त 12,000 से अधिक प्रतिक्रियाओं के आधार पर सर्वेक्षण में सामने आया कि शामिल लोगों में से 50 प्रतिशत प्रतिभागियों में से एक संभवत: चिंता या अवसाद का अनुभव कर रहा था। जबकि 17 प्रतिशत लोग संभवत: ऐसे भी थे जो इससे मिलते-जुलते लक्षणों का अनुभव कर रहे थे। हालांकि, 18 और 24 साल की उम्र के ऐसे भी युवा थे जिन पर इसका प्रभाव अधिक पड़ा है क्योंकि उनकी मानसिक स्थिति सबसे खराब अवस्था में थी।

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युवा महिलाओं पर असर ज्यादा
रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया कि कोरोना संक्रमण से उपजा यह अवसाद और चिंता पुरुषों की तुलना में युवा महिलाओं में अधिक देखने को मिल रही है। ऐसी युवा महिलाओं में अवसाद और चिंता के लक्षण 7 प्रतिशत अधिक थी। ऐसे ही छात्राओं पर छात्रों की तुलना में संभावित चिंता या अवसाद के लक्षण 7.8 प्रतिशत अधिक थे। शोध में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य संकट के कारण सीखने और काम करने में गंभीर व्यवधान के चलते भी युवाओं में मानसिक स्थिति में गिरावट देखी गई है। यूएन के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा कि यह महामारी युवा लोगों के जीवन के हर पहलू पर असर डाल रही है। यह न केवल उनकी नौकरियों और रोजगार की संभावनाओं को नष्ट कर रही है, बल्कि उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण को भी बाधित कर रहा है।

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