13 वर्ष की बच्ची ने किया शोध
इस अध्ययन की लेखिका एक 13 साल की किशोरी नोरा लुईस कीगन है। उनका यह शोध जब कैनेडियन पेडिएट्रिक सोसायटी जर्नल में प्रकाशित हुआ तो ज्यादातर लोगों को रिसर्च से ज्यादा इस बात पर हैरानी हुई की यह एक 13 साल की बच्ची ने किया है। नोरा यह शोध 9 साल की उम्र से कर रही हैं। अब उनके शोध पर वैज्ञानिक अनुसंधान किया जा रहा है ताकि शोध की प्रमाणिकता की जांच की जा सके। पहली इसका खशल उन्हें तब आया जब उन्होंने मॉल और स्टेशन वगैरह पर लगे इलेक्ट्रिक टॉयलेट हैंड ड्रायर्स के शोर को पहली बार सुना। और महसूस किया कि टॉयलेट हैंड ड्रायर्स उसके कान को चोट पहुंचा रहे हैं।
डेसीबल मीटर का उपयोग किया
नोरा ने 2015 में जब यह शोध शुरू किया तो उन्होंने अपना डेटा संकलन का काम मूल रूप से कैलगरी यूथ साइंस फेयर में प्रस्तुत किया गया था। नोरा ने अल्बर्टा, कनाडा में दर्जनों सार्वजनिक टॉयलेट में इलेक्ट्रिक हैंड ड्रायर्स के लाउडनेस माप को संकलित करने के लिए एक पेशेवर-ग्रेड डेसीबल मीटर का उपयोग किया। 2017 तक नोरा ने आस-पास के स्कूल, पार्क, रेस्तरां और मॉल जैसे स्थानों का चयन किया जहां बच्चे अक्सर इनका इस्तेमाल करते हैं या दूसरों के उपयोग करने के दौरान इसके कर्कश शोर के संपर्क में आ जाते हैं।
अलग-अलग ड्रायर्स पर किया शोध
अपने अंतिम डेटाबेस में नोरा ने 44 ड्रायर विभिन्न आकारों के इलेक्ट्रिक टॉयलेट हैंड ड्रायर्स का बच्चों और वयस्कों के कानों पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए किया। उसने इन हैंड ड्रायर्स से उत्पन्न होने वाली तेज आवाज की आवृत्ति, और डेसीमल मीटर पर पहुंच का माप लिया। नोरा ने एयरस्ट्रीम में बिना हाथ सुखाए डेसीबल आउटपुट को भी मापा। नोरा ने पाया कि सबसे सामान्य दिखने वाला ड्रायर भी असल में सामान्य शोर की तुलना में 100 डीबीए (100 dBA) ज्यादा शोर मचाने वाली आवृत्ति निकाल रहे थे। यह सीमा इतनी अधिक है कि राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्थान की सिफारिश की है कि वयस्क श्रमिकों को इस शोर के बीच 15 मिनट से अधिक देर तक संपर्क में नहीं आना चाहिए।
कंपनियां देती हैं गलत जानकारी
हालांकि एनआइओएसएच (NIOSH) की गणना के अनुसार, वयस्क श्रमिकों के लिए जोखिम का सुरक्षित स्तर मात्र कुछ सेकंड में मापा जाता है। इसी को आधार बनाते हुए नोरा ने अपने शोधपत्र में कहा कि वयस्कों की तुलना में बच्चों पर हेयर ड्रायर्स का शोर से नुकसान होने की अधिक आशंका होती है। विभिन्न प्रकार के प्रकाशित दिशानिर्देशों के आधार पर नोरा ने पाया कि बच्चों के लिए 91 और 111 डीबीए के बीच के स्तर से कहीं अधिक ध्वनियां नुक्सान पहुंचा सकती है। उनके शोध ने यह भी साबित किया कि मैन्यूफैक्चरर्स के बताए गए शोर के तथाकथित दावों के इतर यह सामान्य से ज्यादा शोर करते हैं।