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HEALTH TIPS : बवासीर से छुटकारा चाहते हैं तो अपनाएं ये टिप्स

व्यस्त जीवनशैली में अक्सर लोग खानपान को लेकर लापरवाह हो जाते हैं। नौकरीपेशा लोग घंटों एक ही जगह पर बैठे रहते हैं। पानी तक नहीं पीते हैं, फास्टफूड, जंकफूड व पैक्ड चीजों को प्रयोग ज्यादा करते हैं। इससे उन्हें कब्ज की शिकायत शुरू होती है। इस कारण लोगों में बवासीर (PILES) की समस्या अधिक देखने को मिल रही है।

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HEALTH TIPS

बवासीर (PILES) को मेडिकल भाषा में हेमरॉइड्स कहा जाता है। फिशर भी गुदा का ही रोग है। गुदा में क्रैक होने की वजह से यह दिक्कत होती है। यह इतना बड़ा होता है कि इसमें खून आने लगता है। शिराओं में सूजन व गुदा के अंदर मस्से बन जाते हैं। इनमें से कई बार खून निकलता और दर्द भी होता है। जोर लगाने पर कभी-कभी मस्से बाहर की ओर आते हैं। परिवार में किसी को पाइल्स (PILES) तो ज्यादा आशंका होती है। पाइल्स, फिशर में फर्क है, दोनों में अलग तरह की दिक्कतें होती हैं।

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पाइल्स (PILES) के लक्षणों को ऐसे पहचानें
पाइल्स का दर्द हर किसी के लिए एक जैसा नहीं होता है। रेक्टल एरिया में दर्द, खुजली, सूजन व संक्रमण होता है। बवासीर से गुदा, कोलोरेक्टल कैंसर - CANCER की आशंका बढ़ जाती है। गुदा द्वार में मस्से निकल आते हैं। इससे असहनीय दर्द होता है। मलत्याग के वक्त दर्द के साथ अक्सर खून निकलता है। बवासीर अंदरूनी और बाहरी दो प्रकार से हो सकता है।

पाइल्स (PILES) के ये कारण प्रमुख
ज्यादा तेल—मसाला खाने से पाइल्स (PILES) की समस्या होती है। अनियमित खानपान, शारीरिक व्यायाम न करना, जंक फूड खाना पाइल्स की समस्या के प्रमुख कारणों में से एक है। इससे पेट में कब्ज की शिकायत रहती है। सुबह-शाम शौच न जानं, ठीक से पेट साफ न होने, शौच के समय जोर लगाना व लम्बे समय से कब्ज की वजह से पाइल्स होता है।
गर्भावस्था में सावधानी
गर्भावस्था के दौरान बवासीर (PILES) होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रसव के दौरान एनस क्षेत्र ज्यादा लचीला हो जाता है और इस पर ज्यादा दबाव पड़ता है। हृदय व लीवर से जुड़ी बीमारी से भी बवासीर का खतरा बढ़ता है।

पाइल्स (PILES) की चार स्टेज, ऐसे पहचानें
पहली स्टेज में मरीज को लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कई बार मरीज को पता नहीं चलता कि उसे पाइल्स (PILES) की समस्या है। कई बार मरीज को दर्द महसूस नहीं होता, हल्की सी खारिश होती है। दूसरी स्टेज में मल त्याग के वक्त मस्से बाहर आ जाते हैं। दूसरी स्टेज में पहली की तुलना में ज्यादा दर्द होता है। तीसरी स्टेज पर में स्थिति थोड़ी गंभीर हो जाती है। मस्से बाहर आते, इन्हें अंदर नहीं किया जा सकता है। इस स्टेज में तेज दर्द, मल त्याग के साथ खून भी ज्यादा आता है। चौथी स्टेज में मस्से बाहर की ओर लटके रहते हैं। तेज दर्द, खून आने की शिकायत मरीज को होती है।
पाइल्स का कैसे करते हैं इलाज
दवाओं से पाइल्स की स्टेज 1 या 2 को ठीक करते हैं। इसके बाद की स्टेज में मरीज की सर्जरी की जाती है। मस्से थोड़े बड़े हैं तो रबर बैंड लीगेशन का प्रयोग करते हैं। मस्सों की जड़ पर एक या दो रबर बैंड को बांध देते हैं। मस्से बहुत बड़े तो हेमरॉयरडक्टमी से ठीक किया जाता है। स्टेज 3 या 4 के पाइल्स के लिए स्टेपलर सर्जरी करते हैं। बाहर निकले मस्से को सर्जिकल स्टेपल से अंदर डालते हैं।
खानपान व जीवनशैली से भी राहत
ज्यादा से ज्यादा हरी पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग करें। तोरी, टिंडा, लौकी, गाजर, मेथी, मूली, खीरा खूब खाएं। कब्ज से राहत देने के लिए बथुआ अच्छा माना जाता है। मौसमी, संतरा, तरबूज, खरबूजा, आड़ू, अमरूद फायदेमंद है। गेहूं के आटे में सोयाबीन, ज्वार, चने का आटा भी मिलाकर खाएं। टोंड दूध पीएं, शर्बत, शिकंजी, नींबू पानी और लस्सी लें। दिन में नियमित कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पीएं।
एक्सपर्ट : डॉ. शालू गुप्ता, सीनियर सर्जन, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर


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