अमरीका में क्या स्थिति है?
कोरोना की सबसे पहले सफल वैक्सीन की शुरुआत करने वाली अमरीकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना वैक्सीन बनाने की रेस में सबसे आगे है। मॉडर्ना पर रूस की वैक्सीन कीतुलना में दुनिया ज्यादा भरोसा कर रही है। बात करें अमरीकियों की तो लाखों अमरीकियों को यह वैक्सीन बिना किसी अतिरिक्त लागत के मिलेगी। हालांकि कुछ विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि क्या आम अमरीकी करदाताओं को भी कीमत चुकानी होगी, क्योंकि उन्होंने अमरीकी सरकार को वैक्सीन के प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षणों को आर्थिक सहायता देने के लिए लाखों डॉलर कर के रूप में दिए हैं? वहीं मॉडर्ना के अलावा अन्य फार्मास्युटिकल कंपनियां, जो ट्रम्प प्रशासन के वैक्सीन मिशन ‘ऑपरेशन वार्प स्पाीड’ का हिस्सा हैं, वे प्रति डोज 4 डॉलर से 20 डॉलर तक वैक्सीन का शुल्क वसूल सकती हैं। वर्तमान में कुल 5 वैक्सीन ट्रायल अपने अंतिमचरण में पहुंचे हैं जो इससाल के अंत तक या अगले साल के शुरुआती महीनों में वैक्सीन बना लेंगे। इस खबर के बाद से ही वैक्सीन की संभावित कीमत का अंदाजा लगाना शुरू हो गया। एनपीआर की रिपोर्ट के मुताबिक अग्रणी वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने एक सुरक्षित और प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन को 32 से $37 डॉलर प्रति डोज बेचने का करार किया है। चूंकि ये कीमतें फिलहाल छोटे ऑर्डर के लिए हैं अमरीकार में इनकी लागत कम हो सकती है।
आसान नहीं कीमत तय करना
न्यूयॉर्क में एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में बायोएथिक्स के प्रोफेसर आर्थर एल. कैपलान का कहना है कि किसी भी संभावित सफल कोरोना वैक्सीन की कीमत तयकर पाना आसान नहीं होगा। खासकर तब जब यह अरबों डॉलर का परिणाम हो और लोगों की जान बचा सकती हो। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि कीमत इतनी महंगी नहीं होंगी कि इसे आम आदमी खरीद ही न पाए क्योंकि सीमित पहुंच के चलते वैक्सीन का खर्च तक निकालना मुश्किल हो जाएगा। उनका कहना है कि अगर इसे मानव कल्याण के लिए उपलब्ण कराया जाएगा तब तो यह सस्ती होगी लेकिन अगर कंपनियों ने डिमांड को देखते हुए मुनाफा कमाने की सोची तो आम आदमी के लिए वैक्सीन का सपना बहुत महंगा हो सकता है।
खुराक पर निर्भर होगी कीमत
दरअसल, एक वैक्सीन की लागत इस बात पर निर्भर करती है कि उसकी कितने खुराक की आवश्यकता होगी। दोनों अमरीकी कंपनियां फाइजर और मॉडर्ना दो खुराक वाली डोज का परीक्षण कर रही हैं। डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर नजर रखने वाली वेबसाइट ‘गुड आरएक्स’ (GoodRX) की मानें तो इस वैक्सीन की तुलना मौसमी फ्लू वैक्सीन से कर सकते हैं जिसकी सामान्य कीमत 67 डॉलर प्रति डोज़ (अमरीका में) तक होती है। हालांकि, फार्मास्युटिकल कंपनियां वैक्सीन बनाने के दौरान आईकुल लागत वसूलने की योजना बना रही हैं। लेकिन स्वास्थ्य बीमा वाले लाखों अमरीकियों को यह बिना किसी अतिरिक्त लागत के मिलेगी। दरअसल मार्चमें अमरीकी संसद ने दोनों दलों की सर्व सम्मति से एक अधिनियम पारित किया था जिसके तहत एड्स और ऐसी ही दूसरी जानलेवा महामारियों के समकक्ष ही कोरोना वायरस भी चिकित्सा राहत और आर्थिक सुरक्षा अधिनियम के तहत ट्रीट किया जाएगा।
भारत में यह होगी कीमत
लंदन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की ओर से विकसित किए जा रहे कोरोना टीके पर बड़ी बात सामने आई है। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन (corona virus vaccine) की एक खुराक की कीमत तीन डॉलर (लगभग 225 रुपये) होगी। कंपनी भारत और कम व मध्यम आय वाले देशों के लिए 10 करोड़ कोरोना वैक्सीन तैयार करेगी। इसके लिए कंपनी ने गवी वैक्सीन संगठन और बिल व मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ करार किया है, जिसके तहत उसे 15 करोड़ डॉलर (लगभग 1,125 करोड़ रुपये) की मदद मिलेगी। एसआइआइ ने 2021 में भारत और निम्न व मध्यम आय वाले देशों के लिए कोरोना के भावी वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक के निर्माण व वितरण के लिए गवी व गेट्स फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है। एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स समेत कोरोना वैक्सीन की एक खुराक की कीमत तीन डॉलर होगी। कंपनी गवी के कोवैक्स एडवांस मार्केट कमिटमेंट के तहत दुनिया के 92 देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराएगी। गवी कोवैक्स फैसिलिटी का नेतृत्व करती है, जिसका गठन पूरी दुनिया में कोरोना की वैक्सीन को सबसे जल्दी और निष्पक्ष तरीके से पहुंचाने के लिए किया गया है।