scriptगर्भावस्था में होती है इचिंग तो हल्के में न लें, बच्चे को भी खतरा | If you feel itchy during pregnancy don't take it seriously | Patrika News

गर्भावस्था में होती है इचिंग तो हल्के में न लें, बच्चे को भी खतरा

locationजयपुरPublished: Jul 20, 2020 06:30:50 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

इन्ट्राहेपैटिक कोलेस्टेसिस (आईसीपी) एक ऐसा विकार है जो गर्भवती महिला के लिवर को प्रभावित करता है जिससे खाना पचाने में परेशानी होने लगती है। जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है।

स्नेहलता गुप्ता को 2017 में गर्भ के तीसरे महीने में बहुत ज्यादा खुजली (Itching In Pregnency) हो रही थी। यह उनका पहला बच्चा भी था इसलिए वे इसे लेकर ज्यादा परेशान नहीं थीं। दिन के समय ज्यादातर यह पांव के तलवों और हथेलियों में ही होती थी। लेकिन रात को इचिंग इतनी ज्यादा होती थी कि वे ठीक से सो भी नहीं पाती थीं। उनके पूरे शरीर में भयंकर खुजली होती थी इसतनी कि वे खुजाने के कारण खुद को भी जख्मी कर लेती थीं। उनकी डॉक्टर ने उन्हें सांत्वना दी की गर्भावस्था में इचिंग होना सामान्य लक्ष्ण है। लेकिन स्नेहलता को यह सामान्य नहीं लग रहा था। उन्हें ऐसा महसूस होता था जैसे वे अंदर से जल रही हों और तकलीफ मधुमक्खी के डंक के जैसे थी।
गर्भावस्था में होती है इचिंग तो हल्के में न लें, बच्चे को भी खतरा
34 माह की गर्भवती स्नेहलता से जब खुजली और सहन नहीं हुई तो उन्होंने इंटरनेट पर अपने लक्ष्णों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी। लेकिन उनकी जिज्ञासा ने उन्हें एक भयंकर खतरे में डाल दिया था। उसने अपने पति को बताया कि उनके बच्चे का जीवन खतरे में है। प्रेगनेंट चिकन नाम के एक ब्लॉग पर उन्होंने पढ़ा कि गर्भावस्था में होने वाली एक बीमारी के बारे में जानकारी दी थी जिसमें पांव के तलवों और हथेलियों में भयंकर खुजली होती थी। इतना ही नहीं ब्लॉग में यह भी कहा गया था कि यह बच्चे के लिए जानलेवा भी हो सकती है। दरअसल स्नेहलता को गर्भावस्था के दौरान होने वाली इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस (आईसीसी) से परेशान थीं। यह एक ऐसा विकार है जो गर्भवती महिला के लिवर को प्रभावित करता है जिससे खाना पचाने में परेशानी होने लगती है। इसके लक्षणों में असहनीय खुजली के अलावा यह गर्भ में लिवर के अम्ल को प्रवाहित कर विषाक्त तत्त्वों को बढ़ा सकता है जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है।
गर्भावस्था में होती है इचिंग तो हल्के में न लें, बच्चे को भी खतरा
क्या है (आईसीसी) विकार
आईसीपी का कारण अज्ञात है लेकिन यह आनुवंशिक भी हो सकता है। अमरीकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थानों के आनुवंशिक और दुर्लभ रोग सूचना केंद्र के अनुसार ऐसा करीब 1 प्रतिशत गर्भधारण में हो सकता है। वहीं यह विकार लैटिन और स्कैंडिनेवियाई मूल की महिलाओं में ज्यादा नजर आता है। सोसाइटी फॉर मेटरनल फेटल मेडिसिन के अनुसार जिन महिलाओं को गर्भावस्था में आईसीपी होता है उनमें दोबारा गर्भवती होने पर भी यह जोखिम 50 से 60 प्रतिशत बना रहता है। ऐसे 1000 गर्भधारण में इस बीमारी के कारण गर्भ में पल रहे 15 बच्चों की मौत हो जाती है।
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पुख्ता इलाज उपलब्ध नहीं
इस आनुवांशिक विकार का अभी तक कोई स्पष्ट इलाज नहीं है। इसे आसानी से पहचाना भी नहीं जा सकता। प्रसूति चिकित्सकों का कहना है कि आईसीपी नियमित उपचार के तहत नहीं आता। इसे पहचानने का एक आम तरीका यह है कि अगर किसी महिला को गर्भ के दूसरे या तीसरे महीने में बिना चकते या दानों के खुजली होती है तो उसे सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे में तुरंत गर्भवती महिला के पित्त एसिड को प्रयोगशाला विश्लेषण के लिए भेजा जाना चाहिए। परीक्षण के बाद एशले में आइसीपी की पुष्टि हो गई। तमाम परेशानियों के बीच स्नेहलता के 36 महीने के गर्भ को ऑपरेशन कर जन्म दिया गया। कुछ दिनों तक निगरानी में रखने के बाद दोनों को छुट्टी दे दी गई। अब वे औरों को भी आइसीपी के बारे में जागरूक करने का काम करती हैं।
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