
जानिए कैसे जांचते हैं नाड़ी, एक से डेढ़ मिनट में पहचानते हैं बीमारी
शरीर में वात, पित्त व कफ त्रिधातु पाई जाती है। इनमें दोष की वजह से व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है। कलाई की धमनी की जगह नाड़ी देखी जाती है। जिस स्पंदन की गति व बल के आधार पर त्रिधातु और मल की विकृति की पहचान करते हैं वह नाड़ी कहलाती है। नाड़ी परीक्षण सुबह कराना चाहिए। उस समय नाडिय़ां सामान्य रूप से चलती हैं। वैद्य पुरुष के दाएं, स्त्री के बाएं हाथ की नाड़ी देखते हैं। नाड़ी का परीक्षण करने में एक से डेढ मिनट लगते हैं।
ऐसे करते नाड़ी परीक्षण
जो रोगी नहीं है उसकी नाड़ी की जांच सुबह छह से दस बजे के बीच करते हैं। जो रोगी हैं उनका नाड़ी परीक्षण दस बजे के बाद कभी भी कर सकते हैं। अंगूठे के बगल की अंगुली वात की नाड़ी होती है जो सांप की तरह चलती है। उसके बगल में मध्यमा अंगुली पित्त की नाड़ी होती है जो मेढ़क की तरह व उसके पास की अंगुली कफ की नाड़ी हंस की भांति चलती है। इन नाडिय़ों की गति का भाव लघु-गुरु, साम-निराम, उष्णता या क्षीणता है।
- शंभू शर्मा, नाड़ी वैद्य, स्मृति वन, जयपुर
Published on:
08 Mar 2019 05:01 pm
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