टच थैरेपी-
स्पर्श में बड़ा जादू है। आलिंगन तो जादू की झप्पी के नाम से मशहूर हो ही चुका है। जब मन उदास हो, मूड ऑफ हो, तो किसी प्रिय के हाथ का स्पर्श करें और उसे गले से लगाएं। उसे भी कहे कि आपके हाथ व माथे पर अपना स्पर्श करे। आप जल्द ही अच्छा महसूस करने लगेंगे। यह प्रिय व्यक्ति कोई भी हो सकता है पति, पत्नी, प्रेमी, प्रेमिका, बेटा, बेटी, भाई, बहन या कोई परम मित्र।
सूजोक थैरेपी-
ए क्यूंपक्चर के पारंपरिक रूप में जरूरी परिवर्तनों के साथ कोरियन प्रोफेसर पार्क जे वू ने सूजोक थैरेपी की शुरुआत की। उनका मानना है कि शरीर का हर हिस्सा हमारे हाथों और पैरों से जुड़ा हुआ है। जैसे अंगूठा सिर और गर्दन का प्रतिनिधित्व करता है। उनके मुताबिक इन हाथ-पैरों में कुछ एनर्जी पोइंट ऐसे होते हैं, जहां प्रेशर देने से शरीर को आराम मिलता है। यह थैरेपी ऊत्तकों, कोशिकाओं और अंगों में स्फूर्ति का संतुलन करती है।
म्यूजिक थैरेपी-
कुछ चीजों के उपयोग से भी मूड लिफ्टिंग में मदद मिलती है। जैसे रोमेंटिक गाने या शास्त्रीय संगीत मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। मनपंसद सुगंध वाली अगरबत्तियां, इत्र की खुशबू चिड़चिड़ापन दूर करने में सहायक होती है। अरोमा कैंडल जलाकर बैठने, सफेद-नीली मोमबत्ती जलाकर ध्यान एकाग्र करने से शांति मिलती है।
ड्रॉइंग थैरेपी-
ज ब भी उदास हों, कागज कलम लेकर ड्रॉइंग करें। जरुरी नहीं कि आप एक अच्छे चित्रकार हों, बस जो मन करे वही बनाएं। चिडिय़ा, पतंग, बैलून, आम, गोला, चतुर्भुज या कुछ भी। कागज पर पडऩे वाले स्ट्रोक्स आपके मन की चिंता को खुद में समेट लेंगे। सारी नकारात्मक ऊर्जा लकीरों के माध्यम से कागज पर उतर आएंगी और आप फ्रेश महसूस करेंगे।
ऑटो सजेशन-
ज ब मूड ऑफ हो तो सिर्फ वर्तमान के बारे में सोचें, खुद से कहें, ‘जो होगा देखा जाएगा यार, ये जिदंगी मस्त रहनी चाहिए। ‘ये प्रोब्लम टेंपरेरी हैÓ, अगर आप घर में हैं, तो शवासन करते हुए ऐसे शब्द दोहराएं। जब आपके मस्तिष्क में ये सकारात्मक संकेत जाएंगे, तो आपको राहत मिलेगी और मूड जल्दी ठीक होगा।